1/23/2021

Interesting facts about Netaji Subhash Chandra Bose on his 123rd Birth Anniversary



नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुडी खास बातें – Interesting facts about Netaji Subhash Chandra Bose

दोस्तों, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए सबसे अहम योगदान इतिहासकार क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों का मानते हैं. यह सत्य है कि बिना क्रांतिकारियों के आजादी संभव न थी. क्रांतिकारियों की उस फौज में एक ऐसे शख्स भी थे जिन्हें लोग नेताजी कहते थे और वह थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस।

कई लोग तो यह भी मानते हैं कि भारत सरकार ये जानती थी कि नेताजी विमान दुर्घटना में नहीं मरे लेकिन उन्होंने जनता से यह सच्चाई छुपाई और इस सच्चाई को छुपाने का एक बहुत बड़ा कारण भी था कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस महात्मा गांधी के विरोधी थे और कोई भी कांग्रेसी गांधी के विरोधी को पसंद नहीं करता. आइये जानते है महान सेनानी सुभाष चंद्र बोस से जुडी कुछ दिलचस्प बातें | 

(नोट – भारत सरकार ने नेताजी से जुडी गोपनीय फाइलों को जनवरी २०१६ में जनता के लिए खोल दिया है)
नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुडी खास बातें – Netaji Subhash Chandra Bose Facts :

1. आजाद हिंद फौज का गठन करके अंग्रेजों की नाक में दम करने वाले फ्रीडम फाइटर सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उ़डीसा के कटक शहर में हुआ था. उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था।

2. जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे। अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें रायबहादुर का खिताब दिया था।

3. सुभाष चन्द्र बोस अपनी माता-पिता की 14 सन्तानों में से नौवीं सन्तान थे।

4. सुभाषचंद्र बोस ने भारतीय स्‍वतंत्रता संग्राम के सेनानी भगत सिंह की फांसी रुकवाने का भरसक प्रयत्‍न किया. उन्‍होंने गांधी जी से कहा कि वह अंग्रेजों से किया अपना वादा तोड़ दें लेकिन वह भगत सिंह को बचाने में नाकाम रहे.

5. उनके पिता की इच्छा थी कि सुभाष आई.सी.एस. बनें. उन्होंने अपने पिता की यह इच्छा पूरी की. 1920 की आई.सी.एस. परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था. 22 अप्रैल 1921 को उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया.

6. सन् 1933 में उन्हें देश निकाला दे दिया। 1934 में पिताजी की मृत्यु पर तथा 1936 में काँग्रेस के (लखनऊ) अधिवेशन में भाग लेने के लिए सुभाष चन्द्र बोस दो बार भारत आए, मगर दोनों ही बार ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर वापस देश से बाहर भेज दिया।

7. सबसे पहले गाँधीजी को राष्ट्रपिता कह कर सुभाष चंद्र बोस ने ही संबोधित किया था ।

8. सन् 1938 में सुभाष चन्द्र बोस कांग्रेस के अध्यक्ष हुए। अध्यक्ष पद के लिए गांधी जी ने उन्हें चुना था। गांधी जी तथा उनके सहयोगियों के व्यवहार से दुःखी होकर अन्ततः सुभाष चन्द्र बोस ने 29 अप्रैल, 1939 को कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया।

9. एक समय ऐसा था जब लौह पुरुष सरदार पटेल ने सुभाषचंद्र बोस के खिलाफ मामूली संपत्ति के लिए मुकदमा किया था, जबकि सच्‍चाई यह थी कि वह केवल गांधी के सम्‍मान में सुभाष को नीचा दिखाना चाहते थे।

10. अपने जीवनकाल में नेताजी को कुल 11 बार कारावास की सजा काटनी पड़ी. आखिरी बार 1941 को उन्‍हें कलकत्ता कोर्ट में पेश होना था लेकिन नेताजी अपने घर से भागकर जर्मनी चले गए और हिटलर से मुलाकात की.

11. सुभाषचंद्र बोस जी को नेताजी कहने वाला पहला शख्स एडोल्फ हिटलर ही था।

12. सुभाषचंद्र बोस 1934 में अपना इलाज करवाने आस्‍ट्रि‍या गए थे जहां उनकी मुलाकात एक एमिली शेंकल नाम की टाइपिस्‍ट महिला से हुई. नेताजी इस महिला से अपनी किताब टाइप करवाने के लिए मिले थे. इसके बाद नेताजी ने 1942 में इस महिला से शादी कर ली.

13. नेताजी ने दुनिया की पहली महिला फौज का गठन किया था।

14. नेताजी की मौत के संबंध में अब तक मिले साक्ष्‍यों के आधार पर नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू एयरपोर्ट पर उनके विमान के क्रेश होने से हुई थी. हालांकि इस बारे में पुख्‍ता जानकारी अभी तक आम लोगों के लिए जारी नहीं की गई है.

15. नेताजी सुभाष चंद्र बोस को 1992 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया लेकिन ये बाद में वापिस ले लिया।

16. यह बात शायद बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि नेताजी की अस्थियां जापान के रैंकोजी मंदिर में एक पुजारी ने आज भी संभाल कर रखी हुई हैं।

17. उनका नारा ‘तुम मुझे खून दो मैं तुम्हे आजादी दूंगा’ भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है।

18. कहा जाता है कि जब नेता जी ने जापान और जर्मनी से मदद लेने की कोशिश की थी तो ब्रिटिश सरकार ने 1941 में उन्हें ख़त्म करने का आदेश दिया था।

19. 5 जुलाई 1943 को सिंगापुर के टाउन हाल के सामने ‘सुप्रीम कमाण्डर’ के रूप में नेता जी ने अपनी सेना को सम्बोधित करते हुए ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया।

20. 21 अक्टूबर 1943 को सुभाष बोस ने आजाद हिन्द फौज के सर्वोच्च सेनापति की हैसियत से स्वतन्त्र भारत की अस्थायी सरकार बनायी।

21. इस सेना को जर्मनी, जापान, फिलीपाइन, कोरिया, चीन, इटली, मान्चुको और आयरलैंड ने मान्यता दी।

22. 1944 को आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजों पर आक्रमण किया और कुछ भारतीय प्रदेशों को अंग्रेजों से मुक्त भी करा लिया।

23. आजादी के लिए कोहिमा का युद्ध 4 अप्रैल 1944 से 22 जून 1944 तक लड़ा गया एक लंबा और बहुत ही भयानक युद्ध था।

24. 6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी करके बापू से आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं।

25. भारत में रहने वाले उनके परिवार के लोगों का आज भी यह मानना है कि सुभाष की मौत 1945 में नहीं हुई। वे उसके बाद रूस में नज़रबन्द थे।

26. 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तब कांग्रेस ने उसे काले झण्डे दिखाये। कोलकाता में सुभाष ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।

27. 1928 में कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में कोलकाता में हुआ। इस अधिवेशन में सुभाष ने खाकी गणवेश धारण करके मोतीलाल नेहरू को सैन्य तरीके से सलामी दी।

28. 26 जनवरी 1931 को कोलकाता में राष्ट्र ध्वज फहराकर सुभाष एक विशाल मोर्चे का नेतृत्व कर रहे थे तभी पुलिस ने उन पर लाठी चलायी और उन्हें घायल कर जेल भेज दिया।



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