1/14/2021

भारत की कौन सी जगहों पर जाने के लिए "स्पेशल परमिशन" लेनी पड़ती है ?

 

भारत की कौन सी जगहों पर जाने के लिए "स्पेशल परमिशन" लेनी पड़ती है?

भारत में कुछ जगहें ऐसी है जहां लोगों के जाने पर बैन लगा हुआ है। अगर आप इन जगहों पर जाना चाहते है तो आपको स्पेशल परमिशन लेनी पड़ेगी। स्थानीय लोगों को छोड़करदेश-दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से आए तमाम टूरिस्टों के लिए इनर लाइन परमिट लेना अनिवार्य है। 

दरअसल यह सभी स्थान दूसरे देशों की सीमाओं के नजदीक स्थित हैंऐसे में सुरक्षा कारणों से कारण टूरिस्टों को बगैर परमिशन के एंट्री नहीं मिलती है। तो आइये जानते है उन जगहों के बारे में जहां जाने के लिए आपको इनर लाइन परमिट लेने की जरूरत पड़ेगी।


इनर लाइन परमिट होता है क्या?
दरअसल इनर लाइन परमिट भारत का आधिकारिक यात्रा दस्तावेज हैजो कि देश-विदेशों से आए पर्यटकों को संरक्षित क्षेत्र (Protected area) में जाने के लिए अनुमति देता है। यह परमिट एक निश्चित समय और सीमा के लिए मान्य होता है। वर्तमान में भारत के केवल तीन राज्य मिजोरमनागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के लिए इस परमिट की आवश्यकता पड़ती है। हालांकिइन राज्यों के अलावा दूसरे देशों के बॉर्डर लाइन पर भी इस परमिट की आवश्यकता होती है

नागालैंड

कोहिमा


कोहिमा नागालैंड राज्य की राजधानी है। पहाड़ की ऊंची चोटी पर बसा सुंदर शहर हैकोहिमा ।इस शहर में अधिकतर नागा जनजाति के लोग रहते हैं। इन आदिवासियों की संस्कृति बहुत रंग-बिरंगी हैजो पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। कोहिमा के संरक्षित क्षेत्रों में यात्रा करने के लिए इनर लाइन परमिट की आवश्‍यकता पड़ती है। विदेशी पर्यटकों को कोहिमा के संरक्षित क्षेत्र में प्रवेश करने व भ्रमण करने के लिए जिले के विदेशी पंजीकरण अधिकारी के पास पंजीकृत कराना होता है। पंजीकरण कराने के 24 घंटे के अंदर ही विदेशी पर्यटक आराम से सैर कर सकते हैं।
दीमापुर

दीमापुर नागालैंड का सबसे बड़ा शहर है। यह नागालैंड में यात्रा करने के लिए दिलचस्प जगह है।यह नागालैंड के प्रवेश द्वार भी है। दीमापुरधनसिरी के तट पर स्थित है। अक्सर इसे यूरोपीय विद्वानों द्वारा ‘ईंट सिटी के रूप में वर्णित किया जाता है।
मोकोकचुंग

मोकोचुंग एक लोकप्रिय आकर्षण जिला संग्रहालय है। जो ढालतलवारें और परंपरागत गहने जैसे नागा कलाकृतियों को प्रस्तुत करता है। आपको यहाँ से नागा हिल्स का एक शानदार दृश्य भी मिलेगा।यह सच है कि दीमापुर और कोहिमा के बाद नागालैंड में तीसरी सबसे महत्वपूर्ण शहरी केंद्र मोकोचुंग है।

अरुणाचल प्रदेश

ज़ीरो
भारत में अरुणाचल प्रदेश के ज़ीरो वैली को विश्व विरासत स्थल (World Heritage Site) में शुमार किया गया है। इस राज्य में देशी-विदेशी पर्यटकों को देखने के लिए कई शानदार टूरिस्ट स्थान हैंलेकिन ज़ीरो वैली काफी प्रसिद्ध है। लेकिन यहाँ के लिए आपको इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता है।

तवांग

तवांग में 400 वर्षीय पुराना मठ है । वह भारत में सबसे बड़े मठों में से एक है । ल्हासा के बाहर सबसे बड़ा मठ है।तवांग के पश्चिम में भूटान की सीमा और उत्तर में तिब्बत जिला है।लगभग 3048 मीटर की ऊंचाई पर स्थितकई महत्वपूर्ण और सुंदर मठों के लिए जाना जाता है और दलाई लामा के जन्म स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।

भालुक्पोंग

अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में हिमालय की तलहटी में स्थित एक छोटा सा शहर हैभालुकोंग। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत माहौल के लिए जाना जाता हैजो हर आगंतुक पर जादू करता है।यह ऐन्गलिंग और राफ्टिंग करने के लिए बहुत अच्छा स्थान है। यह पख्तुई वन्यजीव अभयारण्य के घने जंगल और कामेंग नदी के किनारे पर स्थित है।

मिजोरम

ऐज़ावल
ऐज़ावल भारत के मिजोरम राज्य की राजधानी है। ऐज़ावल में म्यूजियमहिल स्टेशनशानदार प्लेसेस हैंजिसे देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते हैं। यह पूर्व और दक्षिण में म्यांमार और पश्चिम में बांग्लादेश के बीच स्थित होने के कारण भारत के पूर्वोत्तर कोने में मिजोरम सामरिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण राज्य हैं।
लुंगलेई


लुंगलेई अपनी प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। यह एक आदर्श गंतव्य हैउनके लिए जो एक ब्रेक लेना चाहते है और प्रकृति के सरल बनावट का मज़ा लेना चाहते है।यह शहर मिजोरम राज्य के दक्षिणी हिस्से में स्थित हैऔर इसका नाम पत्थर जैसे वास्तविक पुल के नाम पर रखा गया है। यह शहर ऐज़ावल शहर के करीब होने की वजह से काफी मशहूर है।

मणिपुर

लोकतक लेक


लोकटक झील भारत के मणिपुर राज्य की एक झील है। लोकटक झील अपनी सतह पर तैरते हुए वनस्पति और मिट्टी से बने द्वीपों के लिये प्रसिद्ध हैजिन्हें कुंदी‘ कहा जाता है। लोकटक झील तैरते हुए भूखंड के टुकड़े मिट्टीपेड़-पौधों और जैविक पदार्थों से मिलकर बनी हुई हैं। मिट्टी से बने भूखंड के छोटे-छोटे टुकड़ेपर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते है। हालांकिइस झील को देखने के लिए भी इनर लाइन परमिट लेने की आवश्यकता है।

सिक्किम

छंगू झील


छंगू झील सिक्किम राज्य की सबसे खूबसूरत और प्रसिद्ध झील है। यह झील करीब एक किलोमीटर लम्बीआधा किलोमीटर चौड़ी और 15 मीटर गहरी है. स्थानीय लोग इसे छंगू लेक (Changu Lake) और सोमगो लेक (Tsomgo Lake) दोनों नाम से पुकारते हैं। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई लगभग 3757 मीटर (11271 फीट) है। सर्दियों में यह झील जम जाती हैऔर चारों तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आती है। ऐसा कहा जाता है कि मौसम के हिसाब से झील अपना रंग बदल लेती है। छंगू झील पर आने वाले पर्यटकों को गंगटोक से ही परमिट बनवा कर लाना पड़ता है। यह परमिट सिक्किम पर्यटन कार्यालय (Sikkim Tourism Office) से या फिर ट्रेवल एजेंट की सहायता से बना सकते है।

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