हिन्दी दिवस 2021 पर ग्रंथालय केन्द्रीय विद्यालय किरंदुल की तरफ से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा जिसका विवरण कक्षावार नीचे दिया जा रहा है आप सभी इन प्रतियोगिताओं में भाग लेके हिन्दी का मान बढ़ायें । सभी प्रतियोगिताओं की अंतिम तिथि 28/09/2021 है। 

कक्षा- एक और दो- हिन्दी कविता वाचन (विडिओ बनाएं जो की दो मिनट से ज्यादा का न हो)

कक्षा- तीन,चार और पाँच- हिन्दी कहानी (विडिओ बनाएं जो की तीन मिनट से ज्यादा का न हो)

कक्षा- छठवीं, सातवीं -सुलेख प्रतियोगिता- (100 शब्दों को एक पेपर पर लिखें)

कक्षा- आठवीं  और नवीं - नारा लेखन (हिन्दी भाषा के ऊपर)

कक्षा- दसवीं , ग्यारहवीं  और बारहवीं - निबन्ध लेखन (हिन्दी भाषा का हमारे जीवन में महत्व)

जो प्रतियोगिताएं विद्यालय में नहीं आयोजित होंगी उन्हे आप Whatsapp नंबर 8109379192 एवं ईमेल-kvkirandullibrary1979@gmail.com पर भेजें । 

हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। चीन की भाषा मंदारिन और अंग्रेजी के बाद हिंदी बोलने वाले लोगों की आबादी तीसरे स्थान पर है। हिंदी भारत की संस्कृति की संवाहक है इसलिए 14 सितंबर को देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य हिंदी को बचाए और बनाए रखना है। भारत में अंग्रेजों के आने के बाद से अंग्रेजी का चलना बढ़ा है, जो लगातार बढ़ता जा रहा है। इस वजह से हिंदी की अनदेखी भी हो रही है। इसे रोकने के लिए ही हिंदी दिवस मनाया जाता है। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन भारत में 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस मनाते हैं।

महात्मा गांधी ने कहा था कि हिंदी जनमानस की भाषा है और इसे देश की राष्ट्रभाषा बनाने की सिफारिश भी की थी। हालांकि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा आज तक नहीं मिल सका है, लेकिन हिंदी हमारी राजभाषा जरूर बन चुकी है।

1949 में हुई हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत

14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा में देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया था। इसके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हालांकि साल 1950, 1951 और 1952 में हिंदी दिवस नहीं मनाया गया था। आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस

भारत में अंग्रेजों के आने के बाद सभी सरकारी काम अंग्रेजी में होने लगे थे। अंग्रेजों के जाने के बाद भी कई काम अंग्रेजी में ही होते हैं। हिंदी दिवस पर सभी कार्यालयों में अंग्रेजी की बजाय हिंदी में काम करने की सलाह दी जाती है। हिंदी दिवस पर यह समझाने की कोशिश की जाती है कि जब तक आप पूरी तरह से हिंदी का उपयोग नहीं करेंगे, तब तक हिंदी का विकास होना संभव नहीं है।

हिंदी दिवस पर होते हैं कई आयोजन

हिंदी दिवस पर कई स्कूलों में हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है, जिसमें हिंदी भाषा में कविता, लेख और अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। 15 दिनों तक लगातार हिंदी भाषा से जुड़ा कोई न कोई कार्यक्रम होता है और सितंबर महीने के अंत में सभी प्रतियोगिताओं में अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुरुस्कार दिए जाते हैं। इसके अलावा हिंदी के विकास के लिए काम करने वाले लोगों और संस्थानों को भी राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार लोगों को दिया जाता है और राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी विभाग या समिति को दिया जाता है।

राजभाषा सप्ताह क्या है? (Hindi Diwas Week)

राजभाषा सप्ताह 14 सिंतबर (हिंदी दिवस) से 20 सितम्बर तक मानाया जाता है। इसका उद्देश्य हिंदी का प्रचार-प्रसार करना और आम लोगो के मध्य हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देना है। राजभाषा सप्ताह के दौरान विद्यालयों और सरकारी कार्यलयों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। एक प्रकार से देखा जाये तो यह हिंदी की महत्ता को समझने-समझाने का समय होता है।

हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है ?

देश में हिन्दी भाषा की महत्ता को प्रदर्शित करने के लिये पूरे भारत में हिन्दी दिवस मनाया जाता है। भारत में हिन्दी भाषा का बड़ा इतिहास है जो इंडों-यूरोपियन भाषा परिवार के इंडों-आर्यन शाखा से संबद्ध रखता है। भारत की सरकार ने देश की आजादी के बाद मातृभाषा को आर्दश के अनुरुप बनाने के लिये एक लक्ष्य बनाया अर्थात हिन्दी भाषा को व्याकरण और वर्तनीयुक्त करने का लक्ष्य। इसे भारत के अलावा मॉरीशस, पाकिस्तान, सुरीनाम, त्रिनिदाद और कुछ दूसरे देशों में भी बोली जाता है। इसे 258 मिलीयन लोगों द्वारा मातृभाषा के रुप में बोली जाती है और ये दुनिया की 5वीं लंबी भाषा है।

14 सितंबर प्रत्येक वर्ष एक कार्यक्रम के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि भारत की संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को हिंदी भाषा (देवनागरी लिपि में लिखित) भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाई गई थी। हिंदी भाषा को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में उपयोग करने का निर्णय भारत के संविधान द्वारा (जो 1950 में 26 जनवरी को प्रभाव में आया है) वैध किया गया था। भारतीय संविधान के अनुसार, देवनागरी लिपि में लिखित हिन्दी भाषा को पहले भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अनुच्छेद 343 के तहत अपनाया गया था।

हिन्दी दिवस पर क्रियाएँ

हिन्दी कविता, कहानी व्याख्यान, शब्दकोष प्रतियोगिता आदि से संबंदधित अलग कार्यक्रम और प्रतियोगिता आयोजन के साथ हिन्दी दिवस के रुप में स्कूल, कॉलेज, कार्यालय, संस्थान और दूसरे उद्यमों में हिन्दी दिवस को मनाया जाता है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है इसलिये इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये। हिन्दी विश्व में सामान्यत: दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिन्दी से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठता के लिये लोगों को भारत के राष्ट्रपति द्वारा इस दिन पर पुरस्कृत किया जाता है।

राजभाषा पुरस्कार विभागों, मंत्रालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए दिया जाता है। हिंदी दिवस पर प्रतिवर्ष वितरित किये जाने वाले पुरस्कारों में सें दो के नाम गृह मंत्रालय द्वारा 25 मार्च 2015 को बदल दिये गये। इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार (1986 में स्थापित किया गया था) को राजभाषा कीर्ति पुरस्कार और राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार को राजभाषा गौरव पुरस्कार में बदल दिया गया है।

हिंदी दिवस का जश्न

हिंदी दिवस भारत की मातृ भाषा को सम्मान देने के लिये प्रति वर्ष मनाया जाता है। यह लोगों द्वारा सरकारी कार्यालयों, निजी कार्यालयों, और शैक्षिक संस्थानों में मनाया जाता है। यह शिक्षकों के उचित मार्गदर्शन में विविध गतिविधियों के साथ स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा मनाया जाता है। हिंदी दिवस पूरे देश भर में मनाया जाता है, जो भारत में सबसे व्यापक रूप से बोली जाने वाली हिंदी भाषा के महत्व को दर्शाता है। यह बहुत सी मनोरंजक गतिविधियों की एक विशेष सभा का आयोजन करके लगभग सभी स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों द्वारा मनाया जाता है।

विभिन्न कक्षाओं के छात्रों द्वारा, भाषण का सस्वर पाठ, निबंध लेखन, हिंदी कविता पाठ, कबीर दास के दोहे, रहीम के दोहे, तुलसी दास के दोहों का सस्वर पाठ गायन, गीत, नृत्य, हिन्दी में सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, नाटक, नारा लेखन आदि इस दिन की मुख्य गतिविधियों में शामिल है। इस दिन, छात्रों को विशेष रुप में हिन्दी भाषा में भाषण देने, निबन्ध लिखने और अन्य गतिविधियॉ करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है। स्कूलों में छोटे बच्चों को भी हिंदी में कुछ लिखने के लिए कार्य या कुछ लाइनों का भाषण दिया जाता है। एक बहुत पुराना और प्रसिद्ध हिन्दी भजन ("ऐ मलिक तेरे बंदे हम ') छात्रों द्वारा समूह में गाया जाता है।

राष्ट्रीय भाषा दिवस - हिंदी दिवस को मनाने के लिये विभिन्न स्कूलों द्वारा आंतरिक स्कूल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। विभिन्न स्कूलों के छात्रों को विविध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के लिए जैसे हिन्दी कविता का पाठ("हिंदी मेरी पहचान" के विषय पर आधारित) और (एकता का सूत्र हिंदी 'विषय पर आधारित) प्रतियोगिता के लिये आमंत्रित करते हैं। स्कूलों द्वारा इस प्रकार की प्रतियोगिताओं के आयोजन छात्रों को अपने अन्दर छुपे अलग रुचिपूर्ण तरीकें के साथ हिन्दी भाषा के ज्ञान की खोज के लिये किया जाता है।

हिन्दी दिवस का महत्व और एक कार्यक्रम के रुप में मनाने की आवश्यकता

हिन्दी हमारी मातृ भाषा है और हमें इसका आदर और सम्मान करना चाहिये। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के एक साथ विकास के कारण, हिन्दी ने कहीं ना कहीं अपना महत्ता खो दी है। प्रत्येक क्षेत्र में सफलता पाने के लिये हर कोई अंग्रेजी को बोलना और सीखना चाहता है और इसी प्रकार की माँग भी है। हालाकिं, हमें अपनी मातृ भाषा को नहीं छोडना चाहिये और इसमें भी रुचि लेनी चाहिये और सफल होने के साथ अन्य आवश्यकताओं का पूर्ति के लिये दोनों का ज्ञान एक साथ होना चाहियें। किसी भी देश की भाषा और संस्कृति किसी भी देश में लोगों को लोगों से जोङे रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

किसी भी आर्थिक रूप से संपन्न देश की मातृभाषा के पंख तेजी से बढ़ने लगते है क्योंकि अन्य देशों के लोग भी उस भाषा को सीखना चाहते हैं, हालाकिं वे ये नही सोचते कि उनकी अपनी पहचान अपना मातृभाषा और संस्कृति पर निर्भर करती है। हर भारतीय को हिंदी भाषा को मूल्य देना चाहिए और देश में आर्थिक उन्नति का लाभ लेना चाहिये। यह प्राचीन काल से ही भारतीय इतिहास को उजागर करती है और भविष्य में हमारी पहचान की कुँजी है।

यह एक बहुत ही विशाल भाषा है, जो अन्य देशों(नेपाल, त्रिनिदाद, मारीशस, आदि) के लोगों द्वारा भी बोली और अच्छी तरह से समझी जाती है। यह एक दूसरे के साथ बातचीत करने के लिए बहुत आसान और सरल साधन प्रदान करती है। यह विविध भारत को एकजुट करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है इसलिये संपर्क भाषा के रूप में कही जाती है।

हर साल हिंदी को सम्मान देने और इसके महत्व को अगली पीढ़ी को हस्तान्तरित करने के लिये हिंदी दिवस बहुत बङे कार्यक्रम के रूप में मनाने की एक जरूरत है। हिन्दी दिवस का जश्न मनाना चाहिये इस लिये नहीं कि यह हमारी राजभाषा है बल्कि इसलिये भी कि यह हमारी मातृ भाषा है जिसका हमें सम्मान करना चाहिये और समय समय पर स्मरणोत्सव भी मनाना चाहिये। हमें हमारी राजभाषा पर गर्व करना चाहिये और अन्य देशों में हिन्दी बोलते समय कभी भी हिचकिचाहट महसूस नहीं करना चाहिये। आजकल सभी कार्य क्षेत्रों में अंग्रेजी की बढती लोकप्रियता के कारण लोग अंग्रेजी को हिन्दी से अधिक पसन्द करते है। इस अवस्था में, हिन्दी दिवस का वार्षिकोत्सव भारतियों को गौरवाविंत महसूस कराता है कि एक दिन अपनी राजभाषा के लिये भी समर्पित है।

यह कार्यक्रम भारतियों को तहे दिल से हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार का अवसर प्रदान करता है। यह उत्सव देश के युवाओं के बीच हिन्दी भाषा के बारे में उत्साह का सूत्रपात करेगा। यह युवाओं को प्रेरित करता है, और उनके बीच में हिंदी के लिये सकारात्मक धारणा लाता है। तो, हमें हर साल बड़े उत्साह के साथ हिंदी दिवस मनाना चाहिए, दिल से हिंदी भाषा के महत्व को महसूस करने के लिये स्कूल, कॉलेज, समुदाय या समाज में आयोजित विविध कार्यक्रमों की में भाग लेना चाहिये।

राजभाषा सप्ताह मनाने के कारण

आकड़ो के अनुसार हिंदी विश्व की चौथी सबसे ज्यादे बोले जाने वाली भाषा है, पर कई कारणों से हमारे अपने ही देश में हिंदी के अस्तित्व पर संकट आ खड़ा हुआ है। वर्तमान समय में हिंदी भाषा पर अंग्रेजी का प्रभाव काफी हावी हो चुका है। इसलिए राजभाषा सप्ताह का महत्व और भी ज्यादे बढ़ जाता है, क्योंकि भारत में अंग्रेजी की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और लोग मातृभाषा के महत्व तथा इसके सम्मान को भूलते जा रहे हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नही जब हिंदी भाषा हमारे अपने देश में ही विलुप्तता के कगार पर पंहुच जायेगी।

इसलिए हिंदी भाषा के उपयोग को बढ़ावा देने और इसके लिखने, बोलने तथा इसके अन्य उपयोगो के महत्व को समझाने के लिए 14 सितंबर अर्थात हिंदी दिवस से लेकर एक सप्ताह तक राजभाषा सप्ताह का यह विशेष कार्यक्रम मनाया जाता है, ताकि हम सब हिंदी के महत्व को समझे और साथ मिलकर इसके उन्नति के लिए कार्य करें।

पुरस्कार

राजभाषा सप्ताह के दौरान विद्यालयों और सरकारी कार्यलयों में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। जिसमें सबसे अच्छा करने वाले को कई प्रकार के पुरस्कारों से सम्मानित किया जाता है। इन पुरस्कारो में मुख्यतः दो पुरस्कार सबसे अधिक महत्व रखते हैं। पहले इन पुरस्कारों को राजनेताओं के नाम पर दिया जाता था, पर बाद में इनके नाम को बदलकर राजभाषा कीर्ति पुरस्कार तथा राजभाषा गौरव पुरस्कार कर दिया गया।

1.राजभाषा कीर्ति पुरस्कार

यह राजभाषा सप्ताह के दौरान दिए जाने वाले महत्वपूर्ण पुरस्कारों में से एक है। इसका मुख्य उद्देश्य सारकारी कार्यों में हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत कुल 39 पुरस्कार दिए जाते है। राजभाषा कीर्ति पुरस्कार किसी समिति, विभाग या मण्डल आदि को उसके हिंदी भाषा में किए गये उत्तम कार्यों के लिए प्रदान किया जाता है।

2.राजभाषा गौरव पुरस्कार

राजभाषा गौरव पुरस्कार के अंतर्गत दस हजार से लेकर दो लाख रुपये धनराशि के 13 पुरस्कार सम्मलित होते हैं। इस पुरस्कार को तकनीकी या विज्ञान क्षेत्र में लिखने वाले किसी भारतीय नागरिक को प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार पाने वाले सभी लोगो को धनराशि के साथ-साथ समृति चिन्ह भी भेंट किया जाता है। इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य तकनीकी तथा विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी भाषा के उपयोग को प्रोत्साहन प्रदान करना है।

हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

हर वर्ष 14 सितंबर को हिंदी के सम्मान हेतु हिंदी दिवस मनाया जाता है। कई बार इस अवसर पर हमारे मन में यह विचार आता है कि आखिर हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है। हम में से कई लोग सोचते है क्योंकि हमारा देश एक हिंदी भाषी देश है और हिंदी हमारे देश की राजभाषा है, इसलिए हम हिंदी दिवस मनाते है। हाँ इसके कई कारणों में यह इसका एक कारण अवश्य है, लेकिन इसके साथ ही इसके कुछ दूसरे महत्वपूर्ण पहलू भी हैं।

यदि आकड़ो पे गौर करें तो हमें पता चलता है कि चीनी, स्पैनिश और अंग्रेजी के बाद हिंदी विश्व की चौथी सबसे बड़ी भाषा है, फिर भी इसका पूर्ण ज्ञान रखने वालो तथा इसे अच्छे से समझने तथा पढ़ने वालो की वास्तविक संख्या काफी कम है। वर्तमान समय में हिंदी भाषा पर अंग्रेजी का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और यदि यह इसी तरह से जारी रहा तो वह दिन दूर नही जब इसके अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जायेगा।