3/01/2021

The CBSE Reading Challenge 2.0

The acquisition of 21st century competencies of communication, critical and creative thinking and the ability to locate, understand and reflect on various kinds of information has become more crucial for our learners. It is well accepted that Reading Literacy is not only a foundation for achievement in other subject areas within the educational system but also a prerequisite for successful participation in most areas of adult life. With a focus on promoting Reading Literacy among the learners, the Central Board of Secondary Education is organizing The CBSE Reading Challenge 2.0 for students of classes 8th to10th for the English & Hindi languages. Students may attempt this challenge in either/both the languages.

This challenge shall be available on the DIKSHA platform from 16th February 2021 to 15th March 2021. Students from class 8th to 10th irrespective of the Board are eligible to participate in this challenge. To access the challenge, a student would be required to join the ‘CBSE Reading Challenge 2.0’ course on the DIKSHA Platform through the link given below. This course would lead the students to a set of practice questions besides attempting the Challenge itself.
Steps for students to participate:
1) Students can access the course via DIKSHA portal on computer or via the DIKSHA app on their Android mobile. iPhone users can access the quiz on any mobile browser.
They must have the latest version of the DIKSHA App from Playstore to access the quiz.
In case they already have the DIKSHA App, it may be ensured that it is updated to the
latest version by visiting Playstore.
2) Click the links to access the course in English: http://bit.ly/RC2E_CBSE and in Hindi:
http://bit.ly/RC2H_CBSE . This will open the login page.

3) Students would be required to enter their registered email address and password to
login. If they do not have an account on DIKSHA, then they can register for the same by clicking on the “Register here” button on the page. They can also sign in with an existing Google account by clicking on “Sign in with Google” button.
4) On reaching the “CBSE Reading Challenge 2.0” course home page, click on “Join Course” to register.
5) Once they have joined the course, they will be able to access different modules of this course. They can either click on Start Learning or on any one of the modules to access the content:
(i) The first module provides a brief introduction to the CBSE Reading Challenge 2.0 course
(ii) The second module has some engaging questions for student to practice
(iii) The third module is the CBSE Reading Challenge 2.0
Please note that no merit list shall be displayed or separate certificates will be issued to the participants. Participation certificates will be issued online on the DIKSHA platform itself upon completion of the course. Please ensure that students have their correct names in the DIKSHA profile. Students should have the latest version of DIKSHA App, or access to the DIKSHA website to receive certificates. A sample Whatsapp Message for quick circulation is given in Annexure – 1. Detailed instructions on accessing the course on computer and participating in the challenge is given in Annexure – 2. Detailed instructions on accessing the course on DIKSHA mobile app and participating in the challenge is given in Annexure – 3. Instructions to access participation certificates are given in Annexure – 4. Please ensure maximum participation of students in the challenge as per the schedule.

For any information, you may contact at 011-23231575 or Emailjs.
ss.cbseacad@gmail.com
With Best Wishes

2/22/2021

Celebration of World Thinking Day (Scout & Guide Foundation Day) 2021

 Celebration of World Thinking Day (Scout & Guide Foundation Day) 2021


स्काउट एंड गाइड का इतिहास History of Scout and Guide

स्काउट एवं गाइड आंदोलन वर्ष 1908 में ब्रिटेन में सर बेडेन पॉवेल द्वारा आरम्भ किया गया। धीरे-धीरे यह आंदोलन हर एक सुसंगठित राष्ट्र में फैलने लगा, जिसमे भारत भी शामिल था। 

भारत में स्काउटिंग की शुरुआत वर्ष 1909 में हुई, तथा आगे चलकर भारत वर्ष 1938 में स्काउट आंदोलन के विश्व संगठन का सदस्य भी बना। वर्ष 1911 में भारत में गाइडिंग की शुरुआत हुई, तथा 1928 में स्थापित गर्ल गाइड्स तथा गर्ल स्काउट्स के विश्व संगठन में भारत ने एक संस्थापक सदस्य की भूमिका निभाई। 

भारतवासियों के लिए स्काउटिंग की शुरूआत न्यायाधीश विवियन बोस, पंडित मदन मोहन मालवीय, पंडित हृदयनाथ कुंजरू, गिरिजा शंकर बाजपेई, एनी बेसेंट तथा जॉर्ज अरुंडाले के प्रयासों से वर्ष 1913 में हुई। 

भारत में ‘भारत स्काउट्स एंड गाइड्स (बी.एस.जी.)’ राष्ट्रीय स्काउटिंग एवं गाइडिंग संगठन है। इसकी स्थापना 7 नवम्बर, 1950 को स्वतंत्र भारत में जवाहरलाल नेहरूमौलाना अबुल कलाम आज़ाद तथा मंगल दास पकवासा के द्वारा की गई।

इसमें ब्रिटिश भारत में मौजूद सभी स्काउट एवं गाइड संगठनों को सम्मिलित किया गया। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। इसके एक वर्ष पश्चात् 15 अगस्त, 1951 को आल इंडिया गर्ल गाइड्स एसोसिएशन को भी भारत स्काउट्स एंड गाइड्स संगठन में शामिल कर लिया गया।

विश्व स्काउट संगठन में वर्ष 1947 से 1949 तक अपने अहम योगदान के लिए विवियन बोस जी को विशेष तौर पर याद किया जाता है। वर्ष 1969 में विश्व स्काउटिंग में अद्वितीय सेवा के लिए श्रीमती लक्ष्मी मजूमदार को विश्व स्काउटिंग द्वारा ‘ब्रॉन्ज़-वोल्फ’ सम्मान से सम्मानित किया गया था।

स्काउट एंड गाइड क्या है ? What is Scout and Guide ?

स्काउट्स एवं गाइड्स एक स्वयंसेवी, गैर-राजनीतिक, शैक्षिक आंदोलन है, जो हर एक नव जवान को मानवता की सेवा करने का मौका प्रदान करता है, बिना किसी भी तरह के रंग, मूल अथवा जाति भेद के। यह आंदोलन अपने लक्ष्यों, सिद्धांतों एवं विधियों के आधार पर कार्य करताज है, जिन्हें इसके संस्थापक लार्ड बेडेन पॉवेल द्वारा 1907 में बनाया गया था।

स्काउट एंड गाइड का उद्देश्य Aim of Scout and Guide in Hindi

स आंदोलन का उद्देश्य नवयुवकों की पूर्ण शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक क्षमताओं का विकास करना है, जिससे कि वे एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में अपनी क्षमताओं के द्वारा स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर योगदान कर सकें।

स्काउट/ गाइड आंदोलन निम्न कुछ प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित है –

i) ईश्वर के प्रति कर्तव्य:- आध्यात्मिक नियमों का पालन करना, अपने धर्म के प्रति निष्ठावान रहना तथा अपने ईश्वर द्वारा प्रदत्त कर्तव्यों एवं ज़िम्मेदारियों को स्वीकार करना।

ii) अन्य लोगों के प्रति कर्तव्य:- •अपने राष्ट्र के प्रति निष्ठावान रहते हुए, स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति, समझ एवं आपसी सहयोग की प्रोत्साहित करना।

iii) स्वयं के प्रति कर्तव्य:- स्वयं के विकास की ज़िम्मेदारी को निभाना।

विधियां Methods

स्काउट/गाइड पद्धति प्रगतिशील स्वयं शिक्षा प्रणाली है, यद्यपि –

  • यह एक वचन तथा कानून भी है।
  • यह कर के सीखने में विश्वास रखता है।
  • किसी वयस्क के नेतृत्व में छोटे समूहों की सदस्यता।
  • प्रतिभागियों की रूचि के अनुसार विभिन्न प्रगतिशील एवं प्रेरणादायक कार्यक्रमों का आयोजन।

स्काउट एंड गाइड नियम Laws of Scout and Guide

स्काउट एंड गाइड के कुछ मुख्य कानून व नियम –

  • एक स्काउट/ गाइड विश्वसनीय होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड निष्ठावान होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड सभी का मित्र तथा अन्य स्काउट/गाइड्स का भाई अथवा बहन होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड विनम्र होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड पशुओं का मित्र तथा प्रकृति-प्रेमी होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड निडर होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड मितव्ययी होता है।
  • एक स्काउट/ गाइड अपने शब्दों एवं कार्यों से विशुद्ध होता है।

स्काउटिंग मोटो (सिद्धांत): “बी प्रिपेयर्ड (तैयार रहो)”

स्काउट एंड गाइड के वचन

“अपने सम्मान को साक्षी बनाकर, मैं यह वचन देता हूँ कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करूंगा,

अपने ईश्वर तथा राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाने में,

अन्य व्यक्तियों की सहायता करने में तथा

स्काउट नियमों का पालन करने में।”

स्काउट एंड गाइड का ध्वज Flag of Scout and Guide

स्काउट के ध्वज में प्रतीक के रूप में चक्र है जिसमे 24 तीलियाँ है। इसे अशोक चक्र कहा जाता है, क्योंकि यह चक्र सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। ध्वज के पार्श्व पर भगवा तथा हरा रंग होता है।

आमतौर पर “स्काउट्स एंड गाइड्स” शब्द में बालक तथा बालिकाओं दोनों को ही सम्मिलित किया जाता है। इसके अलावा इन्हें ” कब्स एंड बुलबुल” तथा ” रोवर्स एंड रेंजर्स” भी कहा जाता है। 

स्काउट एंड गाइड से कैसे जुड़ें? How Join Scouts and Guides ?

स्काउट एवं गाइड ज्वाइन करने के लिए निम्न दो तरीके हैं-

  • अगर आप किसी विद्यालय में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, तो आपको अपने विद्यालय के ऑफिस में सीधे जाकर उनसे कहना होगा कि आप स्काउट्स एंड गाइड्स ज्वाइन करने के इच्छुक हैं तथा इसमें आपको शामिल किया जाये।
  • और अगर आप किसी विद्यालय में नही हैं, तो इसे ज्वाइन करने के लिए स्काउट्स के रेलवे डिवीज़न में जाकर उन्हें इस बारे में सूचित करना होगा। जिसके बाद वो आपको इसमें शामिल करने पर विचार- विमर्श तथा वार्ता करेंगे।
  • इसके अलावा एक सबसे अहम बात जो आपको पता होनी चाहिए कि आप स्काउट्स एंड गाइड्स क्यों ज्वाइन करने के इच्छुक हैं? तथा हर वर्ष के अंत तक वे ऐसे कौन- कौन से लक्ष्य होंगे, जिन्हें आप हर हाल में पूरा करना चाहते हैं, एकल रूप से, तथा एक समूह के तौर पर?

स्काउट्स एंड गाइड्स सर्टिफिकेट आपके करियर में क्या भूमिका निभा सकते हैं? How can scout and guide certificate help you with your career ?

स्काउट्स एंड गाइड्स में राष्ट्रपति तथा राज्य पुरस्कार सर्टिफिकेट से सीधे तौर पर जॉब की प्राप्ति नही हो सकती। परंतु ये सर्टिफिकेट आपके बायोडाटा के साथ संलग्न होने पर आपके जॉब पाने की सम्भावना को, बिना सर्टिफिकेट वाले लोगों से, कहीं अधिक बढ़ा देते हैं।

इंटरव्यू के वक़्त स्काउट गाइड प्रशिक्षण में मिले अनुभव आपको अपने प्रतिद्वंदियों से हमेशा दो कदम आगे रखते हैं। इसके अलावा भारतीय रेलवे में जॉब के लिए स्काउट्स/गाइड्स आरक्षण का भी प्रावधान है।

कुल मिलाकर आपको अपनी स्काउट/गाइड में मिले उपलब्धियों पर गर्व होना चाहिए। ये अनुभव प्रत्यक्ष रूप में तो न सही, परंतु अप्रत्यक्ष रूप में आपके आगामी जीवन में बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। राष्ट्रपति तथा राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित तथा स्टाम्पड सर्टिफिकेट बहुत अधिक महत्ता रखते हैं।

2/21/2021

International Mother Language Day: कब और कैसे हुई थी इस दिन को मनाने की शुरुआत

 








इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे हर साल 21 फरवरी को सेलिब्रेट किया जाता है। जिसका मकसद दुनियाभर में अपनी भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता फैलाना है। 

कब से हुई थी इसकी शुरुआत

यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा मनाए जाने की घोषणा की थी। तब से लेकर हर साल 21 फरवरी को इसे मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है

21 फरवरी 1952 को ढाका यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तत्कालीन पाकिस्तान सरकार की भाषायी नीति का कड़ा विरोध जताते हुए अपनी मातृभाषा का अस्तित्व बनाए रखने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। पाकिस्तान की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी लेकिन लगातार विरोध के बाद सरकार को बांग्ला भाषा को आधिकारिक दर्जा देना पड़ा। भाषायी आंदोलन में शहीद हुए युवाओं की स्मृति में यूनेस्को ने पहली बार 1999 में 21 फरवरी को मातृभाषा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी।कैसे मनाया जाता है

इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे के दिन UNESCO और UN एजेंसियां दुनियाभर में भाषा और कल्चर से जुड़े अलग-अलग तरह के कार्यक्रम आयोजित कराते हैं। हर साल इस खास दिन का एक खास थीम होता है।

इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे 2020 थीम

इस बार का थीम है, “Indigenous languages matter for development, peacebuilding, and reconciliation”

और भी नाम है इसके

इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे को टंग डे (Tongue Day), मदर लैंग्वेज डे (Mother language Day) और मदर टंग डे (Mother Tongue Day) और लैंग्वेज मूवमेंट डे (Language Movement Day) और Shohid Dibosh के नाम से भी जाना जाता है।

भारत में बोली जाने वाली भाषाएं

भारत विविध संस्कृति और भाषा का देश रहा है। साल 1961 की जनगणना के अनुसार भारत में 1652 भाषाएं बोली जाती हैं। हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में फिलहाल 1365 मातृभाषाएं हैं, जिनका क्षेत्रीय आधार अलग-अलग है।

हिंदी है हमारी पहचान

भारत विविधताओं का देश है। रूप-रंग-संस्कृति-भाषा-बोलियां यहां अलग-अलग परिधान में हमारी वसुधा की आरती उतारती आ रही हैं, लेकिन समग्रता में हिंदी भाषा हमारी 'अपनी' पहचान है। हम देश के किसी भी कोने में चले जाएं, वहां हिंदी किसी न किसी रूप में हमसे मिलती-जुलती और बात करती है।


भाषा किसी भी इंसान की मूल पहचान का प्रथम चिह्न होती है. भाषा इंसान की ऐसी विरासत होती है जिसे ना तो कोई उससे छीन सकता है ना चुरा सकता है. विश्व के अधिकांश देशों की अपनी मातृभाषा होती है जिसे वहां के कानून द्वारा राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ है. लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि भारत जैसे दुनिया के बेहद प्रभावी और शक्तिशाली प्रगतिशील राष्ट्र के पास अपनी राष्ट्रभाषा नहीं है. हिन्दी हिन्दुस्तान की मातृभाषा तो है लेकिन मात्र एक सरकारी ठप्पे की वजह से हम इसे राष्ट्रभाषा नहीं कह पा रहे हैं.

मातृभाषा की जरूरत

मातृभाषा किसी भी व्यक्ति की सामाजिक पहचान का आधार होता है. मातृभाषा उस भाषा को कहते हैं जिसके द्वारा इंसान अपने आसपास के लोगों के साथ संपर्क स्थापित करता है. जन्म लेने के बाद इंसान जो प्रथम भाषा सीखता है उसे उसकी मातृभाषा कहते हैं. सृष्टि के आरम्भ से ही मानव-विचारों का आदान-प्रदान अभिव्यक्ति से होता है. अभिव्यक्ति को प्रकट करने का सबसे प्रबल और असरकारी रूप कोई भी ‘भाषा’ नहीं बल्कि मात्र ‘मातृभाषा’ होती है.

इसके लिए इंसान को किसी व्याकरण की खास जरूरत नहीं होती. जैसे पंजाब में पैदा हुए बच्चे को पंजाबी सीखने के लिए किसी क्लास की जरूरत नहीं होगी लेकिन हां, इस भाषा में भी निपुण होने के लिए उसको शिक्षा लेनी चाहिए और ऐसा करने से उसके व्यक्तित्व में निखार ही आएगा. परंतु हो सकता है एक पंजाबी बच्चे को हिन्दी सीखने में दिक्कत हो क्यूंकि उसके लिए यह मातृभाषा नहीं होती. इसी तरह इंग्लैण्ड में पैदा हुए बच्चे के लिए अंग्रेजी सीखना बाएं हाथ का खेल लेकिन एक चीनी युवा के लिए अंग्रेजी टेढ़ी खीर साबित हो सकती है.

यूनेस्को महासभा ने नवंबर 1999 में दुनिया की उन भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए साल 2000 से प्रति वर्ष 21 फ़रवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का निश्चय किया जो कहीं न कहीं संकट में हैं.

मातृभाषा पर गर्व करें

मातृभाषा इंसान के लिए एक पहचान होती है. अगर आपके पास अपनी मातृभाषा है तो समाज में यह समझा जाता है कि वैश्विक स्तर पर आपकी संस्कृति की एक पहचान है, एक वजूद है. आपके पास अपने समाज में अपनी बात उठाने का एक सशक्त हथियार है. लेकिन कई बार लोग तथाकथित आधुनिकता के रंग में सभ्य और प्रगतिशील दिखने की चाह में अपनी मातृभाषा को सार्वजनिक स्थलों पर बोलने में शरमाते हैं जो बेहद अशोभनीय व्यवहार है. आज कई लोग भारत की मातृभाषा यानि हिन्दी को बोलने में शरमाते हैं. बिजनेस वर्ल्ड और कॉरपेट जगत में तो हिन्दी बोलने वाले को गंवार समझा जाता है. ऐसे तथाकथित लोगों के लिए ही गांधी जी ने कहा था कि  “मातृभाषा का अनादर मां के अनादर के बराबर है.

बनें हिन्दी प्रेमी कहलाएं असली देश प्रेमी

भारत के सभी लोगों को यह याद रखना चाहिए कि हिन्दी मात्र भाषा नहीं मातृभाषा है.

हिन्दी हिन्दुस्तान को बांधती है. नवजागरण और स्वतंत्रता आंदोलन में स्वामी दयानंद से लेकर विवेकानंद तक लोगों को जगाने के अभियान की भाषा हिंदी ही बनी. गांधी ने भाषा की इस शक्ति को पहचाना और करोड़ो लोगों में राष्ट्रभक्ति का ज्वार पैदा किया तो उसका माध्यम हिंदी ही बनी थी. लेकिन यह किसी दुर्भाग्य से कम नहीं कि जिस हिन्दी को हजारों लेखकों ने अपनी कर्मभूमि बनाया, जिसे कई स्वतंत्रता सेनानियों ने भी देश की शान बताया उसे देश के संविधान में राष्ट्रभाषा नहीं बल्कि सिर्फ राजभाषा की ही उपाधि दी गई. जाति और भाषा के नाम पर राजनीति करने वाले चन्द राजनेताओं के निजी और तुच्छ स्वार्थों की वजह से देश का सम्मान बनने वाली भाषा सिर्फ राजभाषा तक ही सीमित रह गई. रही-सही कसर आज के बाजारीकरण ने पूरी कर दी जिस पर अंग्रेजी की पकड़ है.


है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी

2/20/2021

परीक्षा पे चर्चा - 2021

 

PPC 2021

परीक्षा पे चर्चा - 2021

 PPC2021 प्रतियोगिता के लिए यहां कराएं रजिस्ट्रेशन, पीएम मोदी से संवाद का मौका

स्कूली विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए यह खबर महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ फोटो और उनका विशेष ऑटोग्राफ पाने के मौके को कहीं आप चूक न जाएं। इसके लिए आपको परीक्षा पे चर्चा 2021 की प्रतियोगिता के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा। परीक्षा के दिन आते हीं जिस संवाद का हर नौजवान को बेसब्री से इंतजार रहता है, वह एक बार फिर वापस आ रहा है। यह संवाद विद्यार्थियों के दिल और दिमाग से तनाव को छूमंतर कर देगा। साथ ही आपको ढेरों पुरस्कार जीतने का मौका भी देगा। हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ परीक्षा पे चर्चा और PPC2021 प्रतियोगिता की।

जानकारी के लिए बता दें कि इस बार प्रधानमंत्री के साथ परीक्षा पे चर्चा के लोकप्रिय संवाद में और प्रतियोगिता में विद्यार्थी, अभिभावक और शिक्षक भी भाग ले सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्कूली विद्यार्थियों, अभिभावकों और शिक्षकों से 2021 की परीक्षाओं की तैयारी के संबंध में संवाद करेंगे और उन्हें टिप्स देंगे। तो तनाव और घबराहट को भूलकर परीक्षा पे चर्चा के माध्यम से प्रधानमंत्री से अपने सवालों के जवाब पाने के लिए तैयार हो जाइए और जल्दी से अपना PPC2021 प्रतियोगिता के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करवा लीजिए। वर्चुअल कार्यक्रम में प्रधानमंत्री से न केवल आप सुझाव व सलाह पाएंगे, बल्कि आप उनसे अपने मन के सवाल भी पूछ सकते हैं। रजिस्ट्रेशन का तरीका, प्रतियोगिताओं की जानकारी और उनकी विषय-वस्तु के साथ नियम व शर्तों के साथ ही पुरस्कारों की जानकारी भी इस खबर में दी गई है। इसमें शामिल होना बहुत ही आसान है। 


विषय : छात्रों के लिए

1. परीक्षाएं त्योहारों की तरह हैं, उनका उत्सव मनाएं (Exams are like festivals, celebrate them)

गतिविधि : अपने पसंदीदा विषय के आसपास एक त्योहार का दृश्य ड्रॉ करें। (अपनी पेंटिंग को .jpeg या .pdf फॉर्मेट में अपलोड करें। अधिकतम फ़ाइल साइज 4 एमबी की होना चाहिए)


2. भारत अतुल्य व अद्भत है, यात्रा करें और पता लगाएं (India Is Incredible, Travel and Explore)

गतिविधि : कल्पना कीजिए कि आपके मित्र तीन दिनों की यात्रा पर आपके शहर आए हैं। निम्नलिखित श्रेणियों में से आप उनकी यात्रा को कैसे यादगार बनाएंगें?

दर्शनीय स्थल: (500 वर्णों से अधिक नहीं)

स्वादिष्ट भोजन: (500 वर्णों से अधिक नहीं)

यादगार अनुभव: (500 वर्णों से अधिक नहीं)

3. एक यात्रा के खत्म होते ही, दूसरे की शुरुआत होती है (As One Journey Ends, Another Begins)

गतिविधि: 1500 वर्णों में अपने स्कूली जीवन के सबसे यादगार अनुभवों का वर्णन करें


4. कुछ बनने की नहीं, बल्कि कुछ कर दिखाने की आकांक्षा (Aspire, Not to Be, but to Do)

गतिविधि: यदि संसाधनों या अवसरों पर कोई प्रतिबंध नहीं हो, तो आप समाज के लिए क्या करना चाहेंगे और क्यों? आपका लेख 1500 से अधिक वर्णों में नहीं होना चाहिए।


5. आभार प्रकट करें (Be Grateful)

गतिविधि: जिनके प्रति आप आभारी हैं, उनके लिए 500 वर्णों में 'धन्यवाद कार्ड' लिखें


6. प्रधानमंत्री से सवाल (Question to PM)

गतिविधि: परीक्षा के तनाव से निपटने से संबंधित कोई एक सवाल लिखें जिसे आप प्रधानमंत्री से पूछना चाहते हैं। आपके सवाल 500 से अधिक वर्णों में नहीं होने चाहिए।

विषय : माता/पिता के लिए
1. आपकी सराहना से आपके बच्चे का जीवन संवरता है–हमेशा की तरह उन्हें प्रोत्साहित करें
गतिविधि: अपने बच्चे के भविष्य के प्रति अपनी सोच व दृष्टिकोण के बारे में लिखें । पहली पंक्ति अपने बच्चे को लिखने दें। फिर आगे आप लिखें । (1500 वर्णों से अधिक नहीं)

2. अपने बच्चे के दोस्त बनें-अवसाद व चिंता से दूर रखें
गतिविधि: अपने बच्चे को एक पोस्टकार्ड लिखें और उन्हें बताएं कि वे आपके लिए स्पेशल क्यों हैं। (500 वर्णों से अधिक नहीं)
विषय : शिक्षकों के लिए 
1. ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली - इसके लाभ एवं इसे कैसे और बेहतर बनाया सकता है?
गतिविधि: इस विषय पर लगभग 1500 वर्णों एक रचनात्मक आलेख प्रस्तुत करें। 
 
शिक्षक लॉगिन के माध्यम से भागीदारी
शिक्षक लॉगिन का चयन शिक्षकों द्वारा उन छात्रों की भागीदारी लिए किया जा सकता है, जिनके पास इंटरनेट या ईमेल आईडी या मोबाइल नंबर नहीं है।
एक शिक्षक लॉगिन के जरिए एक या एक से अधिक छात्रों (एक समय में एक) की प्रविष्टियों का सही विवरण जमा करने में सक्षम होंगे।
'शिक्षक के माध्यम से भाग लेने' वाले टैब पर क्लिक करने पर शिक्षक अपने द्वारा भेजे गए सभी प्रविष्टियों की स्थिति को देखने में सक्षम होंगे।
कैसे करें रजिस्ट्रेशन 
1. सबसे पहले https://innovateindia.mygov.in पर जाएं। 
2. वेबसाइट पर जाने के बाद ppc-2021 पर क्लिक करें। 
3. यहां पेज पर ऊपर दाएं तरह दिए गए भाग लें/ Participate बटन पर क्लिक करें।
4. मांगी गई जानकारी भरकर अपना पंजीकरण पूरा करें।
ये याद रखें
1. परीक्षा पे चर्चा 2021 की प्रतियोगिता रजिस्ट्रेशन के लिए अंतिम तिथि 14 मार्च 2021 है। 
2. कक्षा 9 से 12 तक के स्कूली छात्रों के लिए यह प्रतियोगिता खुली है।
3. छात्र, उनके लिए निर्धारित विषयों में से किसी एक पर अपने जवाब भेज सकते हैं।
4. छात्र अधिकतम 500 अक्षरों में प्रधानमंत्री को अपना प्रश्न भी भेज सकते हैं।
5. माता/पिता और शिक्षक भी अपने प्रश्न भेज सकते हैं। 
6. विशेष रूप से उनके लिए निर्धारित ऑनलाइन गतिविधियों जरिए वे अपनी प्रविष्टि भेज सकते हैं।


पीपीसी 2021 पुरस्कार
1. प्रविष्टियों के आधार पर चुने गए 1,500 छात्र, 250 माता/पिता और 250 शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। 
2. विजेताओं को प्रधानमंत्री के साथ परीक्षा पे चर्चा के वर्चुअल कार्यक्रम में सीधे शामिल होने का अवसर मिलेगा।
3. प्रत्येक विजेता को, विशेष रूप से डिजाइन किया हुआ, प्रशंसा प्रमाण पत्र मिलेगा।
4. हर विजेता को एक विशेष परीक्षा पे चर्चा किट भी मिलेगी।
5. विजेताओं में से कुछ छात्रों को सीधे प्रधानमंत्री के साथ संवाद और उनसे सवाल पूछने का अवसर मिलेगा। 
6. इन विशेष विजेताओं में से प्रत्येक को प्रधानमंत्री के साथ उनकी ऑटोग्राफ वाली तस्वीर का डिजिटल स्मारिका भी मिलेगी।
छात्रों के लिए दिशा-निर्देश
1. केवल 9 वीं, 10 वीं, 11वीं और 12 वीं कक्षा के छात्र ही इसमें भाग ले सकते हैं।
2. आप MyGov प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण के बाद ही इस प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। भारत से बाहर के प्रतिभागियों के लिए, ईमेल आईडी पर भेजे गए ओटीपी का उपयोग करके पंजीकरण किया जा सकता है।
3. छात्र उनके लिए निर्दिष्ट केवल एक विषय (थीम) में ही भाग ले सकते हैं।
4. छात्रों को प्रत्येक गतिविधि के लिए निर्धारित शब्द सीमा में ही अपनी प्रविष्टि भेजनी होगी।
5. छात्रों द्वारा भेजी गई प्रविष्टि मौलिक, रचनात्मक और सरल होनी चाहिए।
6. प्रधानमंत्री से सवाल 500 अक्षरों से अधिक नहीं होना चाहिए।
7. प्रविष्टियों को सफलतापूर्वक जमा करने पर सभी छात्रों को भागीदारी का एक डिजिटल प्रमाण पत्र प्राप्त होगा जिसे वे डाउनलोड और #PPC2021 के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं।
8. ओटीपी के लिए छात्र अपना/माता/पिता/शिक्षक के मोबाइल नंबर का उपयोग कर सकते हैं।
9. छात्रों को अपने शब्दों में मौलिक जवाब भेजना चाहिए।
10. किसी भी प्रतिभागी द्वारा कोई भी गलत जानकारी/ प्रविष्टि जमा करने पर पीपीसी 2021 से उसकी भागीदारी को अयोग्य करार दिया जाएगा।
11. प्रविष्टि में कोई उत्तेजक, आपत्तिजनक या अनुचित कंटेंट नहीं होनी चाहिए।
12. कंटेंट में बदलाव कर गैर कानूनी तरीके से प्रकाशित करने, या विलंब से व गलत प्रविष्टि भेजने की ज़िम्मेदारी प्रतिभागी पर होगी।
13. प्रतियोगियों द्वारा भेजी गई सभी प्रविष्टियों का उपयोग शिक्षा मंत्रालय और MyGov द्वारा सोशल मीडिया या वेबसाइट पर या आवश्यतानुसार किसी अन्य रूप में किया जा सकता है।

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