भारत के राज्यों के प्रथम मुख्यमंत्री
भारतीय संविधान के महत्त्वपूर्ण संशोधन
संविधान दिवस (भारत) 2020
संविधान दिवस | |
---|---|
किसी भी संशोधन से पहले भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मूल पाठ | |
आधिकारिक नाम | संविधान दिवस |
अन्य नाम | भारत का कानून |
अनुयायी | भारत |
उद्देश्य | भारत ने 1949 में संविधान को अपनाया |
उत्सव | स्कूलों में संविधान से संबंधित गतिविधियाँ, समानता के लिए दौड़, विशेष संसदीय सत्र |
तिथि | 26 नवम्बर |
आवृत्ति | वार्षिक |
First time | भारत सरकार द्वारा 2015 में, आंबेडकरवादी लोगों द्वारा दशकों पूर्व से |
समान पर्व | भारतीय संविधान |
संविधान दिवस (26 नवम्बर) भारत गणराज्य का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बनकर तैयार हुआ था। संविधान सभा के प्रारूप समिति के अध्यक्ष डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के 125वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवम्बर 2015 से संविधान दिवस मनाया गया। संविधान सभा ने भारत के संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में 26 नवम्बर 1949 को पूरा कर राष्ट्र को समर्पित किया। गणतंत्र भारत में 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया।
आंबेडकरवादी और बौद्ध लोगों द्वारा कई दशकों पूर्व से ‘संविधान दिवस’ मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा पहली बार 2015 से डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के इस महान योगदान के रूप में 26 नवम्बर को "संविधान दिवस" मनाया गया। 26 नवंबर का दिन संविधान के महत्व का प्रसार करने और डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के विचारों और अवधारणाओं का प्रसार करने के लिए चुना गया था। इस दिन संविधान निर्माण समिति के वरिष्ठ सदस्य डॉ सर हरीसिंह गौर का जन्मदिवस भी होता है ।
Constitution Day 2020 In India: भारत का संविधान अपनाने के उपलक्ष्य में हमारे देश में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। नागरिकों के बीच संविधान के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए हर साल 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के भारत सरकार के निर्णय को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर 2015 को अधिसूचित किया। हर भारतीय को भारत के संविधान का इतिहास, महत्त्व, संविधान की प्रस्तावना, संविधान के तथ्य और भारतीय संविधान दिवस पर भाषण निबंध की पूरी जानकारी होनी चाहिए। संविधान दिवस का इतिहास (Constitution Day History) 26 नवंबर, जिसे पहले कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था, उस दिन को चिह्नित करता है जब भारत ने 1949 में ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करने के दो साल से अधिक समय बाद अपना संविधान वापस लिया था। संविधान अगले साल 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, इसलिए पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा के रूप में, 1930 में इसी दिन कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में पारित हुआ। 26 नवंबर 1949 को, भारत की संविधान सभा ने भारत के संविधान को अपनाया, जो 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। 19 नवंबर, 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने नागरिकों के बीच संविधान मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा हर साल 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के निर्णय को अधिसूचित किया। संविधान दिवस का महत्व (Constitution Day Significance) डॉ। बी आर अम्बेडकर एक प्रसिद्ध समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और न्यायविद थे और उन्हें भारतीय संविधान का जनक भी कहा जाता है। उन्हें 29 अगस्त, 1947 को संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था। वह भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाले व्यक्ति थे और वर्ष 2015 में अंबेडकर की 125 वीं जयंती थी। भारत के संविधान दिवस का उद्देश्य भारतीय संविधान और इसके वास्तुकार, डॉ। बी आर अम्बेडकर के महत्व के बारे में जागरूकता लाना है। इस दिन के बारे में घोषणा 11 अक्टूबर, 2015 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुंबई में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी की आधारशिला रखते हुए की गई थी। भारत के संविधान की प्रस्तावना क्या है? (Constitution Day Preamble Facts) हम, भारत के लोगों ने, भारत को एक सोसाइटी सोसाइटी SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC में गठित करने और अपने सभी नागरिकों को सुरक्षित करने का संकल्प लिया है: न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक; विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, विश्वास और पूजा की जीवंतता; स्थिति और अवसर की पूर्णता; और उन सभी को बढ़ावा देने के लिए व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता का आश्वासन देते हुए; नवंबर 1949 के इस 26 वें दिन, हमारी परंपरा में, यहाँ काम करो, हमारा सहयोग करो और हमारा सहयोग करो। संविधान भारत को एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करता है, जिससे उसके नागरिकों के न्याय, समानता और स्वतंत्रता और भ्रातृत्व को बढ़ावा देने के प्रयासों का आश्वासन मिलता है। भारतीय संविधान समय की कसौटी पर खड़ा था क्योंकि भारत एक सफल लोकतंत्र रहा है, कई अन्य लोगों के विपरीत जो एक ही समय में स्वतंत्र हो गए थे।
यहां भारत का संविधान के बारे में कुछ तथ्य दिए गए हैं, जिन्हें देश के युवाओं को जानना चाहिए! (Facts About Constitution Day Of India)
1. भारत के संविधान को 25 भागों, 448 लेखों और 12 अनुसूचियों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा संविधान माना जाता है।
2. भारत का संविधान मूल रूप से प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा की लिखी पुस्तक थी। यह इटैलिक शैली में लिखा गया था और प्रत्येक पृष्ठ को शांतिनिकेतन के कलाकारों ने सजाया था।
3. डॉ। भीमराव रामजी अंबेडकर, जो संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे, साथ ही अन्य सदस्यों को भारत का संविधान तैयार करने में 2 साल 11 महीने और 17 दिन का समय लगा था।
4. संविधान को अपनाने से पहले, बहस और चर्चा के लिए संविधान में 2,000 से अधिक संशोधन किए गए थे।
5. भारत का राष्ट्रीय प्रतीक, सारनाथ में अशोक की शेर राजधानी, उसी दिन भारत का संविधान लागू किया गया था, अर्थात, 26 जनवरी, 1950।
6. भारत के मूल संविधान (हस्तलिखित) पर 284 संविधान सभा सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, जिसमें 24 जनवरी 1950 को 15 महिला सदस्य शामिल थीं। संविधान दो दिनों के बाद लागू हुआ, यानी 26 जनवरी, 1950।
7. भारतीय संविधान को उधार का एक थैला कहा जाता है क्योंकि मसौदा समिति ने विभिन्न अन्य देशों के संविधान से प्रेरणा ली।
8. अन्य देशों से ली गई कुछ अवधारणाएँ हैं (ए) राज्य नीति (डीपीएसपी) के निर्देशक सिद्धांत - आयरलैंड (बी) पंचवर्षीय योजनाएं (सी) लिबर्टी, समानता और बंधुत्व (प्रस्तावना) - फ्रांस (डी) प्रस्तावना - संयुक्त राज्य अमेरिका (ई) मौलिक अधिकार - अमेरिकी संविधान
9. संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) भी मौलिक अधिकारों में से एक था। हालांकि, इसे 1978 में 44 वें संशोधन के साथ हटा दिया गया था।
10. भारत के संविधान की प्रारंभिक प्रतियों को एक विशेष हीलियम से भरे मामले में भारत की संसद की लाइब्रेरी के अंदर रखा गया था। भारतीय संविधान दिवस पर भाषण निबंध कैसे लिखें (Short Constitution Day Speech Essay For Students Kids) 26 नवंबर, इस वर्ष, भारतीय संविधान को अपनाने की 70 वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, और 'संविधान दिवस' का केवल चौथा संस्करण, जिसे वर्ष 2015 में घोषणा के बाद से 'संविधान दिवस' या 'राष्ट्रीय कानून दिवस' के रूप में भी जाना जाता है। इस वर्ष भी, 70 वें 'संविधान दिवस' के उपलक्ष्य में, मानव संसाधन विकास मंत्रालय चाहता है कि छात्र उच्च शिक्षा में संविधान के बारे में जानें और अनुच्छेद 51 के तहत "मौलिक कर्तव्यों" का पालन करने का संकल्प लें। संविधान दिवस जिसे 26 नवंबर को देश भर में मनाया जाता है, जिसे संविधान दिवस के रूप में जाना जाता है। यह दिन भारत के संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भारत की संविधान सभा, जिसे 1946 में भारत के संविधान को बनाने के लिए स्थापित किया गया था, ने 26 नवंबर, 1949 को इसे अपनाया और 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, जिसे भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में जाना जाता है। भारत सरकार ने 26 नवंबर को 2015 से संविधान दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।
Read more at: https://hindi.careerindia.com/news/india-constitution-day-history-significance-preamble-facts-speech-essay-002842.html
लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ स्वभाव की थी तब उनकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहाँ चंचल और सुन्दर मनु को सब लोग उसे प्यार से "छबीली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली। सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम दामोदर राव रखा गया।
ब्रितानी राज ने अपनी राज्य हड़प नीति के तहत बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया। हालांकि मुक़दमे में बहुत बहस हुई, परन्तु इसे ख़ारिज कर दिया गया। ब्रितानी अधिकारियों ने राज्य का ख़ज़ाना ज़ब्त कर लिया और उनके पति के कर्ज़ को रानी के सालाना ख़र्च में से काटने का फ़रमान जारी कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप रानी को झाँसी का क़िला छोड़कर झाँसी के रानीमहल में जाना पड़ा। पर रानी लक्ष्मीबाई ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होनें हर हाल में झाँसी राज्य की रक्षा करने का निश्चय किया।
झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया। झलकारी बाई जो लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी को उसने अपनी सेना में प्रमुख स्थान दिया।
1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य ओरछा तथा दतिया के राजाओं ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया। रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया। 1858 के जनवरी माह में ब्रितानी सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और मार्च के महीने में शहर को घेर लिया। दो हफ़्तों की लड़ाई के बाद ब्रितानी सेना ने शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। परन्तु रानी दामोदर राव के साथ अंग्रेज़ों से बच कर भाग निकलने में सफल हो गयी। रानी झाँसी से भाग कर कालपी पहुँची और तात्या टोपे से मिली।
तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिकों की मदद से ग्वालियर के एक क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया। बाजीराव प्रथम के वंशज अली बहादुर द्वितीय ने भी रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया और रानी लक्ष्मीबाई ने उन्हें राखी भेजी थी इसलिए वह भी इस युद्ध में उनके साथ शामिल हुए। 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई। लड़ाई की रिपोर्ट में ब्रितानी जनरल ह्यूरोज़ ने टिप्पणी की कि रानी लक्ष्मीबाई अपनी सुन्दरता, चालाकी और दृढ़ता के लिये उल्लेखनीय तो थी ही, विद्रोही नेताओं में सबसे अधिक ख़तरनाक भी थी।
हिन्दुओं के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक छठ वर्ष में दो बार मनाया जाता है- पहली बार चैती छठ और दूसरी बार कार्तिकी छठ. चैती छठ पूजा चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है और वहीं कार्तिकी छठ पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है. इस पूजा में छठ माता की अराधना और सूर्य को अर्घ देने का विशेष महत्व है. बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश के अलावा देश के अन्य हिस्सों के साथ इसे नेपाल, मॉरीशस एवं अन्य देशों में भी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है.छठ चार दिनों तक चलने वाला त्योहार है। इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इस दिन गंगा के पवित्र जल से स्नान कर के खाना बनाया जाता है. इस दिन चने की दाल, लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन किया जाता है. नहाय-खाय के बाद खाने में नमक का प्रयोग नहीं किया जाता है. दूसरे दिन को खरना के नाम से जाना जाता है. खरना के दिन व्रत करने वाले लोग प्रसाद बनाते हैं. खरना के प्रसाद में खीर बनाई जाती है. इस खीर में चीनी की जगह गुड़ का प्रयोग किया जाता है. शाम को पूजा के बाद इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं. प्रसाद खाने के बाद निर्जला व्रत शुरू होता है. तीसरे दिन नदी किनारे छठ माता की पूजा की जाती है. पूजा के बाद डूबते हुए सूर्य को गाय के दूध और जल से अर्घ दिया जाता है. इसके साथ ही छठ का विशेष प्रसाद ठेकुआ और फल चढ़ाया जाता है. इस त्योहार के आखिरी दिन सूर्य के उगते ही सभी के चेहरे खिल उठते हैं. व्रत करने वाले पुरुष और महिलाओं के द्वारा उगते हुए सूर्य को अर्घ दिया जाता है. सूर्य को अर्घ देने के बाद व्रत करने वाले लोग प्रसाद खा कर अपना व्रत खोलते हैं. इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद बांट कर पूजा संपन्न की जाती है. छठ का व्रत किसी कठिन तपस्या से कम नहीं है. छठ पर्व पति और संतान की दीर्घायु के लिए किया जता है. मान्यताओं के अनुसार सच्चे मन से छठ व्रत करने पर सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसी मान्यता है की छठ पर्व पर व्रत रखने वाली महिलाओं को पुत्र की प्राप्ति होती है. महिलाओं के साथ पुरुष भी अपने कार्य की सफलता और मनचाहे फल की प्राप्ति के लिए इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करते हैं.
एक मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सूर्य पुत्र कर्ण घंटों पानी में खड़े हो कर सूर्य को अर्घ देते थे. कुछ कथाओं के अनुसार अपने प्रियजनों की लम्बी उम्र की कामना के लिए द्रौपदी भी नियनित सूर्य की अराधना करती थी. कुछ लोगों का यह भी मानना है कि लंका विजय के बाद भगवान राम और माता सीता ने रामराज्य की स्थापना के लिए कार्तिक माह में शुल्क पक्ष की षष्ठी को सूर्य की पूजा की. पुराणों के अनुसार राजा प्रियवद ने पुत्र की प्राप्ति के लिए छठ का व्रत किया था.
#NCERT has launched following courses on SWAYAM portal of Ministry of Education. All courses are free for class 11 and 12, Teacher Educators and Parents.
1. Accountancy XI Part-I
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_sc12/preview
2. Accountancy XII Part-I
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_sc39/preview
3. Accountancy XII Part-II
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_sc45/preview
4. Biology XI Part-I
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_sc20/preview
5. Biology XI Part-II
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_sc21/preview
6. Biology XII Part-I
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_sc22/preview
7. Business Studies XI Part-I
https://onlinecourses.swayam2.ac.in/nce20_s…