1/09/2022

Pravasi Bhartiya Divas (PBD) 2022

 


Pravasi Bhartiya Divas (PBD) 2022: The aim to celebrate the day is to increase the engagement of the overseas Indian community with the Government of India and also focus on reconnecting them with their roots. Let us have a glimpse of the Pravasi Bhartiya Divas and the Pravasi Bharatiya Divas Convention.

Pravasi Bhartiya Divas (PBD) 2022: It is observed on 9 January to mark the contribution of the Overseas Indian community in the development of India. On this day in 1915, Mahatma Gandhi, the greatest Pravasi, returned to India from South Africa. He played an important role in the freedom struggle of India and also changed the lives of Indians forever.

Pravasi Bhartiya Divas convention provides an ideal platform for the government to interact with the diaspora community who reside in several parts of the world. 

Since 2003, PBD conventions are being held every year. Its format has been revised since 2015 to celebrate the PBD once every two years and to hold theme-based PBD Conferences during the intervening period with participation from overseas diaspora experts, policymakers, and stakeholders. PBD is celebrated to mark the contribution of the Overseas Indian community to the development of India. 

Let us tell you that PBD Convention is the flagship event of the Ministry of External Affairs and provides an important platform to engage and connect with overseas Indians. Pravasi Bharatiya Samman Awardees 2020-2021 names were announced. The Awards were conferred to select Indian diaspora members to recognise their achievements and honour their contributions to various fields, both in India and abroad.On 9th January, 2021, the 16th Pravasi Bharatiya Divas Convention was organised despite the ongoing COVID-19 pandemic.

About PBD Convention 2021

In a virtual format, the convention was held and the theme of the 16th PBD Convention 2021 was "Contributing to Aatmanirbhar Bharat". The Convention of PBD had three segments and was inaugurated by the Prime Minister of India Narendra Modi. It was also addressed by the Chief Guest, Chandrikapersad Santokhi, President of the Republic of Suriname. Winners of the online Bharat ko Janiye Quiz for the youth was also announced.

The inaugural session was followed by the two Plenary sessions. The first was on the Role of Diaspora Aatmanirbhar Bharat and was featured by the External Affairs Minister and Commerce and Industry Minister. And the second was on Facing Post Covid Challenges - Scenario in Health, Economy, Social and International Relations that was addressed by Minister of Health and Minister of State for External Affairs.

The Valedictory Session was the finale where the President delivered his Valedictory address to mark the occasion of Pravasi Bharatiya Divas.

Here to inform you that the Youth PBD was also observed virtually on the theme "Bringing together Young Achievers from India and Indian Diaspora” on 8 January 2021 and was anchored by the Ministry of Youth Affairs and Sports. The Special Guest for the event was Priyanka Radhakrishnan, Minister for Community & Voluntary Sector of New Zealand.

In January 2019, it was celebrated at Varanasi, Uttar Pradesh to acknowledge the Indian Diaspora of Indian origin to share their experience, knowledge which can help in the development of the country.

Why is 9 January decided to celebrate NRI Day?

On 9 January,1915, Mahatma Gandhi came to India from South Africa and became the greatest Pravasi who led India's Freedom Struggle and made India free from British or colonial rule. He not only changed the lives of Indian's but also created an example that if a person's dreams and desires are clear, he or she can achieve anything. As a Non-Resident Indian or Pravasi, he is presented as a symbol of a change and development that could bring into India.

According to the Indian Government NRI has global exposure in terms of business and development strategies around the world. If some opportunity is provided to them they will contribute to the developmental process by infusing their ideas and experiences on their motherland i.e. India.

Do you know that the first Pravasi Bharatiya Divas or Non-Resident Indian Day was celebrated on 9 January 2003? Its format has been revised since 2015 to celebrate the PBD once every two years and to hold theme-based PBD Conferences.  Since then it is celebrated every second year. In 2019, Pravasi Bhartiya Divas was held on 21-23 January in Varanasi, Uttar Pradesh.


1/08/2022

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1/07/2022

आओ विचार करें

 

आओ विचार करें

 आओ विचार करें 

सफलता का शॉर्ट-कट 
__________________________________________________________


"बहुत दिन बाद मिले हो गुरु ! आजकल क्या कर रहे हो ?"
"अरे यार ! मैंने कई किताबें लिखी हैं, मैं अब बहुत बड़ा लेखक हूँ।"
"कौन सी किताबें ?"
"'सफलता का राज़ !', 'सफल कैसे हों ?', 'पैसा कैसे कमाएँ ?', 'करोड़पति बनने के आसान तरीक़े', 'महान व्यक्तियों की सोच और आदतें', 'अपने अंदर के महान् बिज़नेसमॅन को जगाएँ' 'दुनिया जीत लो' वग़ैरा-वग़ैरा, ये किताबें मेरी ही हैं"
"तुम्हारी सफलता का राज़ ?"
"मेरी किताबें।"
"मतलब कि इन किताबों में जो लिखा है वही तरीक़ा है सफल होने का ?"
"नहीं-नहीं मेरा मतलब ये है कि इन किताबों के बिकने से जो मेरी कमाई हुई है, उससे मैं पैसे वाला हो गया और सफल भी माना जाता हूँ।"
"अच्छाऽऽऽ ! तो ये बात है... लेकिन तुमने और भी तो कुछ किया होगा ?"
"जो भी किया उसी में असफल हुआ... फिर ये आइडिया आया... अब दुनिया को सिखाता हूँ कि सफल कैसे हों ?"
        ख़ैर इन दो दोस्तों की बातचीत में जो मुद्दा है वह है 'सफलता'। इस विषय पर हज़ारों किताबें मिलती हैं और 'सफल कैसे हों ?' विषय पर जो भी किताब आती है वो अक्सर बॅस्ट सेलर कही जाती है और बहुधा हो भी जाती है। इससे ऐसा लगता है कि सभी सफल व्यक्ति इन किताबों को पढ़ कर ही सफल हुए हैं और जो रह गए हैं वे इन किताबों की मदद से सफल होने को तैयार बैठे हैं।
        ... असल में बात कुछ और ही है। जिस तरह सभी जानते हैं कि स्वस्थ कैसे रहें, पतले कैसे हों, पड़ोसी से कैसा व्यवहार करें, पत्नी या पति से कैसा व्यवहार करें आदि-आदि, फिर भी इन बातों को औरों से पूछते रहते हैं और किताबें टटोलते रहते हैं। ठीक इसी तरह हम सब यह भी जानते हैं कि सफल कैसे हुआ जाता है। समस्या तो तब  आती है जब हमको 'सफलता का शॉर्ट-कट' चाहिए होता है और जब शॉर्ट-कट चाहिए होता है तो फिर किताब की ज़रूरत पड़ती है।
        आख़िर सफलता मिलती कैसे है ? क्या कोई ऐसा मंत्र, तंत्र, युक्ति या किताब है जो सफलता दिला दे ?
हाँ है... निश्चित है ! जिस तरह 'भूख में स्वाद' और 'शारीरिक श्रम में नींद' को छुपा माना जाता है उसी तरह 'जुनून' में सफलता छुपी होती है। जुनून कहिए या पैशन, यही है एक मात्र रास्ता, सफलता का। 
... लेकिन किस तरह...
        असल में जिस ढांचे में हम ढले हुए होते हैं उसमें हमारी सोच एक सीमित दायरे में घूमती रहती है। इसी सोच की वजह से जो हमारी 'पसंद' या 'इच्छा' होती है उससे हम चुनते हैं अपना 'कैरियर'। जबकि अपने जुनून को हम सही तरह से पहचान ही नहीं पाते। आपने देखा होगा कि लोग अपनी 'हॉबी' में ही अपने 'जुनून' की संतुष्टि पाते हैं। काश ! उन लोगों ने अपना कैरियर भी अपने जुनून को समझते हुए चुना होता तो सफलता के साथ-साथ आत्म संतुष्टि भी पायी होती...। 
लेकिन नहीं...ऐसा होता नहीं है...
        बच्चों से पूछा जाता है कि उन्हें क्या 'पसंद' है जबकि ज़रूरत यह जानने की है कि वो क्या 'काम' या 'शौक़' है जिसे वे दीवानों की तरह करना चाहते हैं और करते भी हैं।
एक सच्ची घटना का ज़िक्र करना चाहता हूँ-
        ओ'नील नाम का एक अंग्रेज़ अध्यापक था। उसने एक ऐसा स्कूल खोला था जिसमें ज़्यादातर उन बच्चों को दाख़िला दिलाया जाता था जो बेहद शैतान होते थे और पढ़ना नहीं चाहते थे। फ़ीस भी भरपूर वसूल की जाती थी। एक बहुत शैतान लड़का भी इसके स्कूल में लाया गया। इस लड़के ने पहले दिन ही पत्थर मारकर प्रधानाचार्य (ओ'नील) के कमरे का काँच तोड़ दिया।
काँच बदलवा दिया गया। लड़के ने रोज़ाना काँच तोड़ा और रोज़ाना बिना किसी चर्चा के काँच बदला गया। जब पाँच दिन हो गये तो लड़का प्रधानाचार्य के पास गया और बोला-
"आख़िर आप कब तक काँच बदलवाते रहेंगे ?"
"जब तक तुम तोड़ते रहोगे।"
"मैं काँच क्यों तोड़ता हूँ ?"
"क्योंकि तुम पढ़ना नहीं चाहते।"
"हाँ मैं पढ़ना नहीं चाहता।"
"लेकिन मैंने तो तुमको कभी पढ़ाना नहीं चाहा। वैसे तुमको क्या करना सबसे अच्छा लगता है ?" 
"मुझे कपड़ों का बेहद शौक़ है, मैं सिर्फ़ अपने ही डिज़ाइन के बने हुए कपड़े पहनना चाहता हूँ, क्योंकि कोई और वैसे कपड़े सिल ही नहीं सकता जैसे कि मैं बना सकता हूँ। मैं कपड़े बनाना सीखना चाहता हूँ।"
        इसके बाद इस लड़के को एक अच्छे फ़ॅशन डिज़ाइनर के पास भेजा गया। वहाँ पता चला कि कपड़ा काटने के लिए तो 'ज्यामिति' आनी चाहिए, ज्यामिति के लिए गणित और गणित सीखने के लिए सामान्य अंग्रेज़ी का ज्ञान अनिवार्य है। कुल मिला कर बात यह है कि फ़ॅशन डिज़ाइनर बनने के 'जुनून' में इस लड़के ने पढ़ाई भी की और बाद में मशहूर फ़ॅशन डिज़ाइनर भी बना। 
        सफलता का कोई शॉर्ट-कट नहीं है। कलाकारों के संबंध में भी आपने यह सुना होगा कि जब कला जवान होती है तो कलाकार बूढ़ा हो जाता है। इस संबंध में एक बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि जब हम सफलता के लिए प्रयासरत होते हैं तो हम संघर्ष को सीढ़ी दर सीढ़ी पार कर रहे होते हैं। यूँ मानिए कि यदि सफलता बीसवीं सीढ़ी के बाद है... अर्थात जो सफलता का मंच है वह बीसवीं सीढ़ी चढ़ कर मिलेगा और इस मंच पर  हम उन्नीस सीढ़ी चढ़ने के बाद भी नहीं पहुँच सकते क्योंकि बीसवीं तो ज़रूरी ही है। अब एक बात यह भी होती है कि उन्नीसवीं सीढ़ी से नीचे देखते हैं तो लगता है कि हमने कितनी सारी सीढ़ियाँ चढ़ ली हैं और न जाने कितनी और भी चढ़नी पड़ेंगी। इसलिए हताश हो जाना स्वाभाविक ही होता है। जबकि हम मात्र एक सीढ़ी नीचे ही होते हैं। ये आख़िरी सीढ़ी कोई भी कभी भी हो सकती है क्योंकि सफलता कभी आती हुई नहीं दिखती सिर्फ़ जाती हुई दिखती है। सफलता पाने से पहले उसे भांप लेना किसी के बस की बात नहीं है। इसलिए सफलता के शॉर्ट-कट तलाशने की बजाय अपने जुनून को पहचानिए।
        
किसी ने ठीक ही कहा है-

... जीने का है शॉक़ तो मरने को हो जा तैयार... 

धन्यवाद


1/06/2022

100 Days Reading Campaign Jan to April 2022 (Please Read it Very Carefully)

 

100 Days Reading Campaign Jan to April 2022

 

100 Days Reading Campaign

 TARGET GROUP: 

Children studying in Balvatika to Grade VIII will be part of this campaign.

 They will further be Categorised into three groups class-wise: 

GROUP I: BALVATIKA TO GRADE II 

GROUP II: GRADE III TO GRADE V 

GROUP III: GRADE VI TO GRADE VIII. 

DURATION OF THE CAMPAIGN: The reading campaign will be organised for 100 days (14 weeks) starting from January 2022 to April 2022.

AT THE NATIONAL LEVEL FOLLOWING ACTIVITIES WILL BE UNDERTAKEN TO KEEP THE MOMENTUM OF THE CAMPAIGN:

Organise ‘READATHON’ on the lines of Toycathon Awareness Drive:

 Press releases, Social media campaigns, infographics, etc. 

Storytelling by Hon’ble Education Minister, State Ministers, Chief Ministers, State Education Ministers, etc. in regional languages

Webinars on the importance of reading Video/Audio messages from Children book writers (Ruskin Bond, Shudha Murthy, Nilesh Misra for storytelling) 

Reading Aloud of stories by teachers as well as community members in regional languages Partnership with CSOs, FM channels, Newspapers (local and regional)

Storytelling sessions to be organised by involving Parents and Grand Parents.

Celebration of 21st February as International Mother Tongue Day Kahani Padho Apni Bhasa Main (Reading story in own language) to be conducted across the country during this period.

RESOURCES: 

Various resources will be made available at the FLN vertical of 

DIKSHA portal, ‘KAHANIYON KA PITARA’ etc. 

States and UTs may also explore other resources such as 

National Council of Educational Research and Training (NCERT), 

National Book Trust (NBT)

 Story weaver (https://storyweaver.org.in), 

Pratham Books (https://prathambooks.org), 

Room to Read Cloud (https://literacycloud.org), 

etc.

FOR  FULL DETAILS  AND CLASS-WISE ACTIVITIES CLIK HERE

OR

HERE

Folk Tales by Kendriya Vidyalaya Sangthan, New Delhi

 


12/22/2021

National Mathematics Day 2021 (Birth Anniversary of Legendary Indian Mathematician, Srinivasa Ramanujan)

 

National Mathematics Day

National Mathematics Day

National Mathematics Day 2021

It is observed on 22 December every year to mark the birth anniversary of legendary Indian Mathematician, Srinivasa Ramanujan. The day recognises and celebrates his works. On this day, the genius mathematician Srinivasa Ramanujan was born in 1887 to a Tamil Brahmin Iyengar family at Erode, Tamil Nadu. 

Since ancient times various scholars had made significant contributions to mathematics including Aryabhata, Brahmagupta, Mahavira, Bhaskara II, Srinivasa Ramanujan, etc. At a very young age, Srinivasa Ramanujan showed the signs of an unfolding genius, and his contributions regarding fractions, infinite series, number theory, mathematical analysis, etc. set an example in mathematics.

National Mathematics Day: History

In 2012, the former Prime Minister of India, Dr. Manmohan Singh, paid tribute to Srinivasa Ramanujan at a function organised on the occasion of the birth anniversary of the great mathematician Srinivasa Iyengar Ramanujan in Chennai. 22 December was declared as National Mathematics Day. Thus, on 22 December 2012, National Mathematics Day was celebrated across the country for the first time.

National Mathematics Day: Significance

The main objective behind the celebration is to raise awareness among people about the importance of mathematics for the development of humanity. We can't ignore that several initiatives are taken to motivate, enthuse, and inculcate a positive attitude towards learning mathematics among the younger generation of the country. On this day, training is also provided to the mathematics teachers and students through camps and highlights the development, production, and dissemination of teaching-learning materials (TLM) for Mathematics and research in related areas.

How is National Mathematics Day celebrated?

National Mathematics Day is celebrated in various schools, colleges, universities, and educational institutions in India. Even the International Society UNESCO (United Nations Educational, Scientific and Cultural Organisation) and India had agreed to work together to spread mathematics learning and understanding. Along with this, various steps were taken to educate the students in mathematics and spread knowledge to the students and learners all over the world.

NASI (The National Academy of Science India) is the oldest science academy situated in Allahabad. To celebrate National Mathematics Day, NASI conducts a workshop in applications of Mathematics and Ramanujan. The workshop is attended by popular lecturers and experts in the field of mathematics from across the nation. Speakers at the country and world level discuss Srinivasa Ramanujan's contribution to mathematics.

The two days workshop on the topic 'History of Indian Maths before 16th Century' was organised during 30-31 December, 2019 at the NASI headquarters at Prayagraj.

 Discussion in the workshop covered the below-mentioned topics:

- Indian Contribution during Vedic Period

- Indian Contribution during Classical period

- Indian Contribution during the medieval period.

All the states of India celebrate National Mathematics Day in different ways. Various competitions and mathematical quizzes are conducted at schools, colleges, and universities. Mathematics talent and students from all over India participate in these programs and workshops.

About Srinivasa Ramanujan and his contributions in Mathematics

Srinivasa Ramanujan was born on 22 December 1887, Erode, India, and died on 26 April 1920 at Kumbakonam. His family was of the Brahmin caste and lived in poverty. At the age of 12, he had gained knowledge in Trignometry and without anyone's help, he had developed his own theorems and ideas. Do you know that at the age of 15 only he obtained a copy of George Shoobridge Carr's Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics ?

He had spent his childhood days in great difficulty in poverty. He used to borrow books and read books from friends in school. When he was young, he took up the job of a clerk to meet the economic needs of the house, and when he gets time he used to solve mathematics questions and worked on various types of theorems. Once, an Englishman saw those pages, he was impressed and took a personal interest. He sends Srinivasa Ramanujan to Hardy, the Professor of Oxford University. He then recognized the talent hidden in him and thereafter he got fame worldwide.

His papers were published in the Journal of the Indian Mathematical Society in 1911. He had compiled about 3900 results mainly identities and equations that too on his own without anyone's assistance. Several results out of them are original and novel like the Ramanujan prime, The Ramanujan theta function, partition formulae, and mock theta functions. These results further inspired several other research and opened new fields of work. He discovered his theory of divergent series, worked out the Riemann series, the elliptic integrals, hypergeometric series, and the functional equations of the zeta function. Let us tell you that the number 1729 is known as the Hardy-Ramanujan number.

So now we come to know that National Mathematics Day is celebrated on 22 December every year to spread awareness about the importance of mathematics and the contributions made by the scholar of mathematics Srinivasa Ramanujan. The government of India decided in 2012 to celebrate National Mathematics Day on 22 December on the birth anniversary of Srinivasa Ramanujan. Since then it was celebrated on 22 December every year.

12/15/2021

Kendriya Vidyalaya Sangthan Foundation Day 2021

                                 केंद्रीय विद्यालय संगठन



केंद्रीय विद्यालय संगठन Kendriya Vidyalaya Sangthan ,KVS भारतीय सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) के अंतर्गत आने वाली एक स्वायत्तशासी संगठन हैं। जिसकी स्थापना भारतीय शिक्षा प्रणाली को प्रभावशाली बनाने एवं शिक्षा के क्षेत्र में व्यापकता लाने के लिए किया गया था।

इस संगठन के निर्माण का सबसे बड़ा उद्देश्य स्थानांतरित पदों में कार्यरत कर्मचारियों के बच्चों को समान स्तर एवं समान पाठ्यक्रम की शिक्षा देने हेतु किया गया था। इस प्रकार की शिक्षा हेतु सर्वप्रथम “रेजीमेंट स्कूलों” की स्थापना की गई। 1963 में इन स्कूलों की संख्या लगभग 20 थी।

इसके संगठन की संरचना एव उद्देश्य भी नवोदय विद्यालय समिति NVS की भांति ही हैं। 1965 में केंद्रीय सरकार ने ऐसे कर्मचारियों के बच्चो को शिक्षा प्रदान करने हेतु ऐसे कई विद्यालयों की स्थापना करना शुरू किया जिनका संबंध सीधें केंद्र से था। भारतीय सरकार ने सर्वप्रथम 20 रेजीमेंट स्कूलों को शिक्षा विभाग के अंतर्गत सम्मिलित किया। इन्हें ही केंद्रीय विद्यालयों का दर्जा दिया गया। इनका पाठ्यक्रम केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड़ CBSE के अंतर्गत स्थापित किया गया। तत्पश्चात ऐसे स्कूलों को पूर्णता प्रदान करने हेतु केंद्रीय विद्यालय संगठन (Kendriya Vidyalaya Sangthan , KVS का गठन किया।

  • केंद्रीय विद्यालय संगठन की संरचना |
  •  Structure of Kendriya Vidyalaya Sangthan, KVS
केंद्र ने इस संगठन के क्षेत्र को तीन वर्गों में विभाजित किया- केंद्रीय स्तर,क्षेत्रीय स्तर और स्थानीय स्तर। इन सभी स्तरों के अंतर्गत विभिन्न समितियों एवं निकायों की भी स्थापना की गई जो इस प्रकार हैं –
1) केंद्रीय स्तर – केंद्रीय से के अंतर्गत दो निकायों की व्यवस्था की गई हैं- सामान्य निकाय और प्रशासनिक निकाय।
◆ सामान्य निकाय – सामान्य निकाय के अंतर्गत उच्च अधिकारी आते हैं। इसके चेयरमैन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मंत्री होता हैं और उसके राज्यमंत्री डिप्टी चेयरमैन पद पर आसीन होते हैं। इनके सदस्यों में अनेको क्षेत्र के मंत्री भी सम्मिलित होते हैं।
◆ प्रशासनिक निकाय – इसके अंतर्गत 11 सदस्य आते हैं। जिसमें 1 कमिश्नर , 5 उप-कमिश्नर , 2 जॉइंट कमिश्नर एवं 3 अन्य सदस्य होते हैं। इसके अंतर्गत तीन समितिया कार्य करती हैं – वित्त समिति,निर्माण समिति और सलाहकार समिति।
2) क्षेत्रीय स्तर – क्षेत्रीय स्तर पर उच्च अधिकारी तीन शैक्षिक अधिकारी एवं अन्य कर्मचारी कार्य करते हैं। क्षेत्रीय स्तर पर गठित होने वाली CBSE की परीक्षाओं का सफल निर्माण एवं क्रियान्वयन का उत्तरदायित्व इन अधिकारियों पर ही होता हैं।
3) स्थानीय स्तर – स्थानीय स्तर के शिक्षा की व्यवस्था हेतु केंद्रीय विद्यालय संगठन (KVS) द्वारा विद्यालय प्रबंधन समिति का निर्माण किया जाता हैं। जिसमे मुख्या के तौर पर जिलाधिकारी भूमिका निभाता है।
केंद्रीय विद्यालय संगठन के उद्देश्य | 
Aims of Kendriya Vidyalaya Sangthan
1) स्थानांतरित पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के बच्चो को समान शिक्षा समान पाठ्यक्रम के साथ प्रदान करना।
2) विद्यालयों में आधुनिक तकनीकों एवं आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा प्रदान करना।
3) केंद्रीय विद्यालयों का विकास करना उसमें गुणवत्तापूर्ण तत्वों का समावेश करना।
4) सभी छात्रों को शिक्षा के समान अवसर उपलब्ध कराना।
केंद्रीय विद्यालय संगठन के कार्य | Functions of Kendriya Vidyalaya sangthan
केंद्रीय विद्यालय संगठन केंद्रीय विद्यालयों के नीति-निर्माण एवं कार्यो के उत्तम क्रियान्वयन हेतु निरंतर प्रयासरत रहता हैं। यह केंद्रीय विद्यालयों को उनकी आवश्यकतानुसार अनुदान प्रदान करने का भी कार्य करता है। नवीन केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना हेतु अपनी मंजूरी देना एवं मानदंडों का निर्माण करना, निरीक्षण करना आदि।
यह सह-पाठ्यक्रम सामग्री की योजना बनाने एवं केंद्रीय विद्यालयों के अध्यापकों एवं प्रधानाचार्यो की नियुक्ति एवं उनके स्थानांतरण में भी अपनी भूमिका निभाता हैं।
यह संगठन भारतीय शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने के प्रयासों में से एक हैं। यह समस्त स्थानांतरित कर्मचारियों के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखता हैं, साथ ही शिक्षा के अधिकार की पूर्ति करता हैं।
यह एक राष्ट्र एक पाठ्यक्रम की नीति के अनुरूप कार्य करता है। यह कक्षा 6 से 9 तक के छात्रों हेतु संस्कृत की अनिवार्यता पर बल देता हैं। जिससे छात्रों का सांस्कृतिक विकास किया जा सकें एवं भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखा जा सकें।
यह भारतीय शिक्षा प्रणाली को मजबूती एवं दिशा प्रदान करने वाली एक स्वायत्तशासी संस्था हैं। जो सभी को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने हेतु निरंतर कार्य करता हैं। यह कक्षा 8 तक सभी छात्रों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करता है और साथ भी मेधावी एवं गरीब वर्ग के बच्चों हेतु छात्रवृति की भी व्यवस्था करता हैं।
           
        


12/14/2021

National Energy Conservation day 14 December


14 December: National Energy conservation Day

National Energy Conservation day

With the growing population of the world, energy requirements are also increasing. But the speed at which energy requirement is increasing, the fear of destruction of all resources of energy has started increasing. Therefore, it is necessary that we pay special attention to energy conservation or develop other resources for its replacement because if we are not successful in our efforts during the time, then entire human civilization can be in danger.

National Energy Conservation Day is celebrated every year on 14th December in India. In India Energy Conservation Act was implemented by Energy Efficiency Bureau (BEE) in 2001. Energy Efficiency Bureau (BEE) is a constitutional body which works under Government of India and helps in the development of policies and strategies to reduce use of energy. The objective of Energy Conservation Act in India is to appoint professional, qualified and energetic managers and auditors who have expertise in policy-making, financial management and implementation of energy-related projects.

What is energy conservation?    

The true meaning of energy conservation is to avoid unnecessary use of energy and to use at least energy so that energy sources can be saved for future uses. To make energy conservation plan more effective, every person should include energy conservation in their behaviour.

What are the measures for energy conservation?

Energy Conservation


Image source: Naya India
•    Every person can save energy by eliminating unnecessary use of fan, light, heater or other electrical instruments used in their daily life. It is the easiest and effective way to save the extra energy usage which can be played a major role towards National Energy Conservation Campaign.
•    Fossil fuels, crude oil, coal and natural gas etc. are generating enough energy to use in daily life, but their demand is increasing day by day, which creating fear of lack of natural resources in the future. Therefore, for energy conservation, we should use renewable energy resources instead of the non-renewable resources of energy.
•    In many countries, government charges energy tax or carbon tax to make energy conservation effective. By this tax, imposed on high consumption of energy, use of energy has decreased and increased awareness among users about limited use of energy.


•    People should be aware that more light bulbs on the workplace produces various problems like tension, headache, blood pressure, fatigue and decreases work efficiency of workers. However, in the natural light of day, level of work efficiency of workers increases and the energy consumption also decreases.
•    In 1977, Petroleum Conservation Research Association (PCRA) was set up by the Indian government to promote energy conservation in the daily life of people. This is a very big step taken by the Government of India towards energy conservation. Apart from this, in 2001, the Government of India had set up another government organization named Energy Efficiency Bureau (BEE) for better energy efficiency and protection.
•    Electric energy can be saved by preventing the wasteful expenditure of water by using a timer in the water tankers.
•    Energy can be saved by using LED bulbs in place of 100 watt bulb or CFL.
•    We should always use ISI marked electrical instruments.
•    Social arrangements like marriage and religious activities should be held in day time.
•    Use maximum sunlight during the day time and keep closed unnecessary fan, light, AC.
•    For street lights of residential complexes Photo Electric Control switch should be used.
•    After the construction of the buildings, we can protect buildings from being hit by covering the available part of the plot with trees / vines. As a result, those who live in the buildings will have to use fan, cooler, AC etc. at least.
•    Use light colours on the inner surface of the room walls. By doing so, room can be lit up appropriately through low-energy lighting devices.
•    Using a solar water heater instead of a geyser to heat water and solar cooker to cook food, we protect precious power energy and can become a partner in national interest. If you use geyser, then use it for a minimum period of time. For this, temperature setting of thermostat and timer should be taken care of.

How National Energy Conservation Day is celebrated?

 
Energy Conservation Day

Image source: IAS Paper
In India, many energy conservation competitions are organized by the government and other organizations to make national energy conservation campaign more effective and special. Various painting contests are organized at school, state, regional or national level on energy conservation day. Students participating in the competition and winning are honoured by the Ministry of Power in the National Energy Conservation Day program on December 14.

Objective of National Energy Conservation Day

•    National Energy Conservation Day is celebrated every year with a special theme to make some goals and objectives more effective among the people.
•    It is celebrated among people to send messages of importance of energy conservation in every area of life.
•    To promote the process of energy conservation, organizing many programs like: discussion, conferences, debates, workshops and competitions in the whole country.
•    Encourage people to use less energy rather than excessive and extravagant energy.
•    Encourage people to reduce energy consumption and use it’s efficiently.

Ultimately, it can be said that our scientists are engaged in discovering and developing new and alternative resources of energy. But it is our duty to understand the importance of energy and become aware of energy conservation. We should always try that we don't waste energy.

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