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Medal Winning Olympian Survey is being undertaken by the Indian Olympic Association, Sports Authority of India.
Through this survey, the participants have to predict a medal winner from the Indian contingent. There will be only 1 entry allowed per participant. The participants need to give their entries by 22nd July 2021 i.e. before the start of the Tokyo Olympics.
10 Lucky winners will get an Olympic jersey and 1 Lucky winner will get an opportunity to virtually meet & greet with one of the Olympians.
1. क्या आप जानते हैं कि देश में ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ (भारतीय ध्वज संहिता) नाम का एक कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के कुछ नियम-कायदे निर्धारित किए गए हैं।
2. यदि कोई शख्स ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया’ के तहत गलत तरीके से तिरंगा फहराने का दोषी पाया जाता है तो उसे जेल भी हो सकती है। इसकी अवधि तीन साल तक बढ़ाई जा सकती है या जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों भी हो सकते हैं।
3. तिरंगा हमेशा कॉटन, सिल्क या फिर खादी का ही होना चाहिए। प्लास्टिक का झंडा बनाने की मनाही है।
4. किसी भी स्तिथि में फटे या क्षतिग्रस्त झंडे को नहीं फहराया जा सकता है।
5. तिरंगे का निर्माण हमेशा रेक्टेंगल शेप में ही होगा। जिसका अनुपात 3 : 2 ही होना चाहिए।
6. झंडे का यूज़ किसी भी प्रकार के यूनिफॉर्म या सजावट के सामान में नहीं हो सकता।
7. झंडे पर कुछ भी बनाना या लिखना गैरकानूनी है।
8. किसी भी गाड़ी के पीछे, बोट या प्लेन में तिरंगा यूज़ नहीं किया जा सकता है। इसका प्रयोग किसी बिल्डिंग को ढकने में भी नहीं किया जा सकता है।
9. किसी भी स्तिथि में झंडा (तिरंगा) जमीन पर टच नहीं होना चाहिए।
10. जब झंडा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।
11. झंडा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
12. किसी भी दूसरे झंडे को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगा सकते और न ही बराबर रख सकते है।
13. जब तिरंगा फट जाए या रंग उड़ जाए तो इसे फहराया नहीं जा सकता। ऐसा करना राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाला अपराध माना जाता है।
14. जब तिरंगा फट जाता है तब इसे गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या पवित्र नदी में जल समाधि दे दी जाती है।
15. शहीदों के पार्थिव शरीर से उतारे गए झंडे को भी गोपनीय तरीके से सम्मान के साथ जला दिया जाता है या नदी में जल समाधि दी जाती है।
16. सबसे पहले लाल, पीले व हरे रंग की हॉरिजॉन्टल पट्टियों पर बने झंडे को 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क), कोलकाता में फहराया गया था।
17. भारत के राष्ट्रीय ध्वज को पिंगली वैंकेया ने डिज़ाइन किया था।
18. अभी जो तिरंगा फहराया जाता है उसे 22 जुलाई 1947 को अपनाया गया था। इससे पहले इसमें 6 बार बदलाव किया गया था।
19. 3 हिस्से से बने झंडे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफ़ेद और नीचे हरे रंग की एक बराबर पट्टियां होती है। झंडे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात 2 और 3 का होता है।
20. सफ़ेद पट्टी के बीच में गहरे नीले रंग का एक चक्र होता है। इसका व्यास लगभग सफ़ेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तिलियां बनी होती हैं।
21. 22 जुलाई 1947 से पहले तिरंगे के बीच में चक्र की जगह पर चरखा होता था। इस झंडे को 1931 में अपनाया गया था।
22. 26 जनवरी 2002 को भारतीय ध्वज संहिता में एमेंडमेंट किया गया। इसके बाद लोगों को अपने घरों और ऑफिस में आम दिनों में तिरंगा फहराने की अनुमति मिल गई।
23. झारखंड की राजधानी रांची में 23 जनवरी 2016 को सबसे ऊंचा तिरंगा फहराया गया। 66*99 साइज के इस तिरंगे को जमीन से 493 फ़ीट ऊँचाई पर फहराया गया।
24. राष्ट्रपति भवन के म्यूज़ियम में एक छोटा तिरंगा रखा हुआ है, जिसे सोने के स्तंभ पर हीरे-जवाहरातों से जड़ कर बनाया गया है।
25. भारत में बैंगलुरू से 420 किमी स्थित ”’हुबली”’ एक मात्र लाइसेंस प्राप्त संस्थान है जो झंडा बनाने का और सप्लाई करने का काम करता है।
26. 29 मई 1953 में भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे ऊंची पर्वत की चोटी माउंट एवरेस्ट पर यूनियन जैक तथा नेपाली राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराता नजर आया था इस समय शेरपा तेनजिंग और एडमंड माउंट हिलेरी ने एवरेस्ट फतह की थी।
27. पहली बार 21 अप्रैल 1996 के दिन स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर ने तिरंगे की शान बढाते हुए एम. आई.-8 हेलिकॉप्टर से 10000 फीट की ऊंचाई से कूदकर देश के झंडे को उत्तरी ध्रुव में फहराया था।
28. 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को लेकर अंतरिक्ष के लिए पहली उड़ान भरी थी।
29. दिसंबर 2014 से चेन्नई में 50,000 स्वयंसेवकों द्वारा मानव झंडा बनाने का विश्व रिकॉर्ड भी भारतीयों के पास ही है।
NOTIFICATION
This is
to notify that there are 06 OBC/NCL vacancies in class I. Interested parents can apply for these
vacancies. Offline taking form from the school gate.
Notification
date: 11/07/2021
Last date
of submission: 20/07/2021
For any
query: 8109379192
Every year on July 11, the world observes World Population Day. The size of a nation’s population has a major impact on its development and operations. The bigger a country’s population, the more difficult it is to develop at a quicker rate. As a result, reducing overpopulation is essential, whether on a national or global scale, to ensure the long-term growth of our existing resources.
It took hundreds of thousands of years for the world population to reach one billion, and then it increased sevenfold in just another 200 years or so. The world population passed the 7 billion barrier in 2011, and it now stands at approximately 7.7 billion, with an anticipated increase to around 8.5 billion in 2030, 9.7 billion in 2050, and 10.9 billion in 2100.
This substantial increase has been driven mostly by an increase in the number of individuals reaching reproductive age and has been followed by significant changes in fertility rates, increased urbanisation, and accelerated migration. These tendencies will have far-reaching consequences for future generations.
Every year on July 11, the world observes World Population Day with the goal of highlighting the difficulties created by overpopulation and raising awareness about how overpopulation may harm the ecosystem and progress of humanity. The day also discusses family planning, poverty, sexual equality, maternal health, civil rights, and the health concerns that childbearing women confront.
India has the world’s second-largest populace after China, and in the present days of the Covid-19 pandemic, dealing with such a big population proved difficult during the second wave of the pandemic, which raised the country’s fatality rate.
As a result, focusing emphasis on population management not only in the country but also on a worldwide scale is critical.
The United Nations Development Programme’s Governing Council created World Population Day in 1989. On July 11, 1987, the population day was prospected in the public attention, i.e., the Five Billion Day, or the estimated day when the world’s population surpassed five billion people. Meanwhile, the day was further commemorated by the United Nations General Assembly in December 1990 with Resolution 45/26.
The theme for World Population Day 2021 is “Rights and Choices are the Answer: Whether baby boom or bust, the solution to shifting fertility rates lies in prioritising all people’s reproductive health and rights."
गुरू तेग बहादुर सिखों के नवें गुरु थे जिन्होने प्रथम गुरु नानक द्वारा बताए गये मार्ग का अनुसरण करते रहे। उनके द्वारा रचित ११५ पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में सम्मिलित हैं। उन्होने काश्मीरी पण्डितों तथा अन्य हिन्दुओं को बलपूर्वक मुसलमान बनाने का विरोध किया। इस्लाम स्वीकार न करने के कारण 1675 में मुगल शासक औरंगजेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया।
National Reading Day 2021 History Significance PN Panicker Birthday: भारत में हर साल 19 जून को नेशनल रीडिंग डे मनाया जाता है। 'केरल पुस्तकालय आंदोलन' के संदर्भ में नेशनल रीडिंग डे पीएन पनिकर की पुण्यतिथि पर मनाया जाता है। इस वर्ष देश 26वां नेशनल रीडिंग डे 2021 सेलिब्रेट कर रहा है। आइये जानते हैं नेशनल रीडिंग डे मनाने की शुरुआत कैसे हुए, नेशनल रीडिंग डे का इतिहास और महत्व के बारे में...
पीएन पनिकर फाउंडेशन 19 जून, 1996 से नेशनल रीडिंग डे, रीडिंग वीक और रीडिंग मंथ मना रहा है। इस वर्ष, फाउंडेशन ने ऐसी गतिविधियों का आयोजन किया है जो देश में मौजूदा COVID 19 स्थिति के कारण ऑनलाइन पढ़ने को प्रेरित करती हैं। एक महीने तक चलने वाला 'डिजिटल रीडिंग' उत्सव आज 19 जून, 2021 से शुरू होगा और 18 जुलाई, 2021 तक चलेगा।
राष्ट्रीय रीडिंग दिवस भारत 2021 पर, देश एक बार फिर केरल में पुस्तकालय आंदोलन के पीछे के व्यक्ति को सम्मानित करेगा। यह दिन केरल में 100% साक्षरता दर में उनके उल्लेखनीय योगदान की स्मृति में मनाया जाता है। राष्ट्रीय रीडिंग दिवस का आदर्श वाक्य 'पढ़ो और बढ़ो' है। राष्ट्रीय रीडिंग दिवस भारत 2021: कैसे मनाया जाता है यह दिन? केरल सरकार और पनिकर फाउंडेशन स्कूलों और कॉलेजों में सप्ताह भर चलने वाली गतिविधियों का निरीक्षण करते हैं। कुछ गतिविधियों में स्कूली छात्रों के लिए डिजिटल पठन प्रतिज्ञा, वेबिनार और पठन प्रतियोगिताएं शामिल हैं। इसके अलावा देशभर के स्कूल अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
राष्ट्रीय रीडिंग दिवस भारत 2021 समारोह के बारे में अधिक जानने के लिए, छात्र पीएन पनिकर फाउंडेशन की आधिकारिक वेबसाइट pnpanickerfoundation.org पर एक नज़र डाल सकते हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी स्कूलों से छात्रों के लिए ऑनलाइन गतिविधियों और प्रतियोगिताओं का आयोजन करके इस दिन का सम्मान करने को कहा है।
2017 में, पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय रीडिंग दिवस के 22 वें संस्करण का शुभारंभ किया, इस आयोजन को राज्य से राष्ट्रीय स्तर तक ले जाया गया। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 'यंग, आगामी और बहुमुखी लेखक' योजना की घोषणा की थी। यह भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए 75 युवा लेखकों को प्रशिक्षित करने के लिए एक परामर्श कार्यक्रम है। इसके साथ ही, सरकार द्वारा राष्ट्रीय पठन दिवस भारत 2021 को मनाने के लिए कुछ पहल की घोषणा करने की उम्मीद है।