मुंशी प्रेमचंद जी एक ऐसे प्रतिभाशाली इंसान थे, जिन्होंने हिंदी भाषा को एक नई पहचान दी। इन्होने अपने लेखन से लोगो के मन में जागरूकता जगाई, अपने अंतिम सांस तक उपन्यास लिखते रहे। तो आइये जानते है, एक महान साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार जैसी, बहुमुखी प्रतिभा रखने वाले मुंशी प्रेमचंद के बारे में कुछ अनसुने रोचक तथ्य-
1. मुंशी प्रेमचंद के बचपन का नाम धनपत राय था।
2. मुंशी प्रेमचंद का जन्म साल 1880 में 31 जुलाई को वाराणसी के एक छोटे से गांव लमही में हुआ था।
3.मुंशी प्रेमचंद अपने अंतिम दिनों में भी वे साहित्य से ही जुड़े रहे।
4. मुंशी प्रेमचंद ने अपना पहला साहित्यिक काम गोरखपुर से उर्दू में शुरू किया था।
5. इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि प्रेमचंद ने हिंदी से पहले उर्दू में लिखना शुरु किया था।
6. मुंशी प्रेमचंद की पहली रचना "सोज-ए-वतन" थी।
7. बीमार रहने के बावजूद भी उनकी एक ही ख्वाहिश थी, कि अपने अंतिम उपन्यास “मंगल सूत्र” को ख़तम करें परन्तु दुर्भाग्यवश ऐसा हो नहीं पाया।
8. मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गयी “गोदान” भारतीय ही नहीं बल्कि विश्व साहित्य के सबसे बड़े धरोहरों में से एक बनी हुई है।
9. कलम के जादूगर मुंशी प्रेमचंद शिक्षक की पहली पोस्टिंग वही हुई थी, जहां उन्होंने प्राथमिक शिक्षा ली थी।
10. मुंशी प्रेमचंद जी ने महात्मा गांधी के ओजस्वी भाषण सुनकर इतने प्रभावित हो गए थे, कि उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत में सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और स्वतंत्र लेखन करने लगे।
11. 1910 में, जब प्रेमचंद की रचना सोजे-वतन (राष्ट्र का विलाप) के लिए जिला कलेक्टर ने उन्हें तलब किया और उन पर जनता को भड़काने का आरोप लगाकर , सोजे-वतन की सभी प्रतियाँ जब्त कर नष्ट कर दी गईं।
12. प्रेमचंद जी ने अपने करियर की शुरुआत एक बुक शॉप पर सेल्स बॉय के रूप में की थी ताकि उन्हें ज्यादा से ज्यादा किताबें पढ़ने का मौका मिल सके।
मुंशी प्रेमचन्द की इन अमोल कृतियों के संकलन पर आपका स्वागत है।
उपन्यासों और कहानियों की सूची नीचे दी गई है। पढ़िए और आनन्द लीजिए।
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